आजकल समाज में अत्यधिक स्टेट्स सिंबल बनाने के लिए व अपने को आधुनिक दिखाने के लिए नशे की भूमिका बढ़ती जा रही है देर-रात कबाना क्लबों व पबों व डिस्को थैंक का चलन बढ़ तथा जा रहा है काकटेल,मोकटेल ,हुक्का पार्टियों का बढ़ता चलन शौक व देखा-देखी में इसे युवा पीढ़ी इसे मानसिक तनाव दूर करने के लिए अपना रही है व इससे व हैंग ओवर मानसिक रोगों का शिकार बन समाज व परिवार व देश के लिए बोझ बनते जा रहे हैं नशे के साथ-साथ अश्लील लिबास पहनने का चलन , जिससे कामुकता को बढ़ावा मिलता है सम्बन्धो में क्रोध- कटुता, व समांजस्य में कमी देखने को मिलती है संस्कारों से पोषित करने वाली मातृशक्ति भी आधुनिक बनने के चक्कर में इसे अपना रही है जिससे परिवार के बच्चों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है तथा समाज दिशाभ्रमित हो रहे हैं व बढ़ो का सम्मान करने से बच रहे हैं असहनशीलता,अ नैतिकता,अतिखर्चशीलता बढ़तीं जा रही है। समाज परिवार व में अशान्ति व विद्रोह को जन्म दे रही है ।इससे परिवार टूट व बिखर रहे हैं सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, गुटखा, गांजा,सुल्फा, पुड़िया, नशीली दवाओं का बढ़ता प्रयोग समाज में मानव की उत्पादकता को कम रहा है सरकारें भी अत्याधिक राजस्व का मोह त्याग कर ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाये व नशा उत्पादन करने वाली कम्पनियों पर रोक लगाये जनकल्याण की भावना पर ध्यान केंद्रित करे तथा जिससे समाज नशामुक्त हो सके व एक सुंदर समाज का निर्माण हो सके ।
नरेश छाबड़ा
आवास-विकास रूद्रपुर
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