श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय इण्टर कॉलेज सुमाड़ी विकास खिर्सू जनपद-पौड़ी गढ़वाल में वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला आर.के.नारायन मैमोरियल अवार्ड से सम्मानित हुए। यह सम्मान हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर उन शख्सियतों को दिया जाता है जो निरन्तर समाज में बेहतर व उत्कृष्ट कार्य करते हैं। इस वर्ष उत्तराखण्ड से चमोला का चयन हुआ है। इन्हें यह सम्मान ग्लोबल लिटरेरी सर्कल एण्ड पब्लिशर भारत द्वारा दिया गया। ग्लोबल लिटरेरी सर्कल के अकादमिक परिषद द्वारा अखिलेश चन्द्र चमोला को सम्मानित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 50 आवेदकों के प्रोफाइल का गहनता से अवलोकन करने पर तीस विद्धत जनों का इस अवार्ड के लिए चयन हुआ है। हमें उत्तराखंड से अखिलेश चंद्र चमोला को इस पुरस्कार से अलंकृत करते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है। अखिलेश चन्द्र चमोला अपने अध्यापन कार्य के अतिरिक्त 27 वर्षो से ग्रामीण आंचलिक में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को अपने निजी व्यय पर भव्य आयोजित कार्यक्रम में प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित करने का कार्य करने के साथ उन्हें जीवन में कभी नशा न करने की प्रतिज्ञा दिलाने का भी कार्य करते हैं। इस तरह का कार्य अपने आप में उत्कृष्ट मुहिम को उजागर करता है। आज प्रेरणा दायिनी साहित्य पर किये गये सृजनात्मक कार्य से राष्ट्रीय स्तर पर चमोला ने प्रेरणा दायिनी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अपना गौरवमय स्थान बनाया है। चमोला ने प्रेरणा दायिनी साहित्य के सृजन में भावी पीढ़ी के उच्च आदर्श मार्ग पर चलनेकी परिकल्पना की है। जिसमें चमोला ने भावी पीढ़ी को राष्ट्र की धरोहर के रूप में स्पष्ट करते हुए कहा है कि राष्ट्र की इस धरोहर का हमें समर्पण के साथ हिफाजत करनी चाहिए। भावी पीढ़ी के सन्दर्भ में चमोला के चिन्तन मनन को देखते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने इन्हें नशा उन्मूलन नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी भी दी है। जिसके तत्वाधान में इनके द्वारा निरन्तर नशा उन्मूलन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। बतातें चले कि चमोला जनपद रुद्रप्रयाग के ग्राम कौशलपुर के निवासी हैं इनका जन्म एक जुलाई 1972 को श्रीधर प्रसाद चातक व राजेश्वरी चमोला के द्वितीय पुत्र के रूप में अवतरण हुआ। माता-पिता शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे। अपने माता पिता द्वारा दी गई शिक्षा का व्यापक प्रभाव चमोला पर पड़ा। उच्च शिक्षा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से ली। जिसमें कला निष्णात में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर विश्व विद्यालय द्वारा इन्हें स्वर्ण पदक से भी विभूषित किया गया है। उन्हें उत्कृष्ट कार्यों को करने पर 500 से भी अधिक राष्ट्रीय सम्मानोपाधियों से सम्मानित हो चुके हैं।