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पर्यावरण और हम

साँसों की डोर से बंधा है जीवन,
पल – पल हर पल,
वायु है सबके लिए एक |
अमीर हो या गरीब,
छोटा हो या बड़ा,
वह करती नहीं है भेद ||

प्यास बुझती है जल से,
ठंडी में गर्म
और गर्मी में शीतल से,
उपयोग है जिसके अनेक |
अमीर हो या गरीब,
छोटा हो या बड़ा,
जल तो है सबके लिए एक ||

सूरज की रोशनी, करती है उजियारा,
पेड़ -पौधे पशु और इंसान,
सब का सहारा |
देता सबको विश्वास,
बरसेगा जल, होगी फ़सल |
वह भी नहीं करता भेद |
अमीर हो या गरीब,
छोटा हो या बड़ा,
उसके लिए भी सब एक ||

इंसान की उड़ान है, कभी धरती तो कभी आसमान- सी,
उसकी नजरों में है भेद |
उसके लिए नहीं सब एक |
तौलती है,उसके किए को प्रकृति, लौटाती है वही
जो कुछ मानव करता है उसे भेट !!

— मंजुला श्रीवास्तव. नई दिल्ली. Poetees & CEO of TINRAD ( Tulsi Immuno Nano Research and Development)

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