
विश्व मृदा दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 5 दिसम्बर को मनाया जाता है हमारे शरीर की बनावट पंचभूतों से हुई है जिसमें मृदा यानी मिट्टी तत्व मुख्य अवयव है इसकी सुरक्षा व गुणवत्ता अति आवश्यक है विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य खाघ- सुरक्षा, ओर सतत् विकास के लिए मिट्टी के महत्व के बारे में दुनिया भर में जागरूकता फैलाना है हम अपने छोटे-छोटे प्रयासो द्वारा मिट्टी को प्रदूषण से मुक्त करें और स्वास्थ्य पारिस्थितिक तंत्र व मानव कल्याण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये क्यों कि जब हमारी मिट्टी स्वास्थ्य होगी तभी हमारा भविष्य सुरक्षित होगा बढ़ते शहरीकरण से क्रंकीटीकरणका कार्य बढ़ता ही जा रहा है गांव शहरों में तब्दील होते जा रहे हैं जिससे मिट्टी की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है मिट्टी में डाली जाने वाली रासायनिक खादे, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रही है अधिक जल सोखने वाली फसलों लेने से भूमि बंजर व जल विहीन हो रही है ।इसके लिए हमें नारियल की जटा,नीम ,व गीले कूड़े, खली व गोबर से बनी प्राकृतिक खादों का प्रयोग कर हम भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं जो कि एक प्राकृतिक समाधान है हमें और्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए जो हमारे शरीर व हमारी जलवायु के लिए मुफीद है इससे मिट्टी के पोषक तत्व बचे रह सकते है स्वस्थ मिट्टी जल- वायु की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है अच्छी मिट्टी एक अदृश्य शक्ति है इससे पेड़ पोधौ,जल को स्वच्छ व मनुष्यो के शरीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देती है हरियाली को निरन्तर नगरों में बढ़ाकर मिट्टी की गुणवत्ता को परखा जा सकता हैं। क्योंकि कहा भी गया है मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती,, इससे यही अभिप्राय है कि यदि हमारी मृदा स्वास्थ्य होगी तो हमारे देश के नागरिक व देश धन धान्य से परिपूर्ण व समृद्ध होगा आइये हम सब मिलकर मिट्टी की देखभाल व संभाल करें अपने देश व विश्व को स्वच्छ, स्वस्थ व खुशहाल बनाए ।











