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सीमांत क्षेत्र की उम्मीदें अधूरी, सरकार से जवाब की मांग
जौलजीवी/पिथौरागढ़। सीमांत उत्तराखंड की जनता वर्षों से टनकपुर–जौलजीवी सड़क के निर्माण की प्रतीक्षा कर रही है। हर वर्ष विकास के वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है। यह सड़क न केवल परिवहन की सुविधा बढ़ाएगी, बल्कि स्वास्थ्य, व्यापार और शिक्षा के लिए भी जीवनरेखा बन सकती है।

निर्माण की वर्तमान स्थिति:
टनकपुर से रूपालीगाड़ तक लगभग 55 किमी हिस्से में आंशिक निर्माण कार्य हुआ है:
आमड़ा, तरकुली और आमनी नदी पर पुल लगभग तैयार।
लधिया नदी पर 690 मीटर लंबा पुल अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद।
लेकिन रूपालीगाड़ से जौलजीवी तक का शेष मार्ग अभी अधूरा है। DPR तैयार है, पर टेंडर और कार्य प्रारंभ की प्रतीक्षा जारी है।
स्थानीय लोगों की आवाज़:
गोविंद पाल (व्यापारी)
“अगर यह सड़क जल्दी बनती है तो लोगों को आने-जाने में सहूलियत होगी और भाड़ा भी कम होगा।”
ललित मोहन जोशी (व्यापारी)जो समय आज हम खराब रास्तों में गंवाते हैं, वह बचेगा और कामकाज में गति आएगी।”
भरत सिंह कन्याल (दिया टेलिकॉम)”जितने समय में हम पिथौरागढ़ पहुंचते हैं, उतने ही समय में बरेली से लौट सकते हैं। यह सड़क हमारे लिए बहुत जरूरी है।”
राजेन्द्र सिंह बुरफाल (व्यापारी)
अगर यह रोड बनती है तो हम पिथौरागढ़ या हल्द्वानी की जगह राममूर्ति बरेली जाएंगे, जो सस्ता और जल्दी पड़ेगा।”

कविता अवस्थी (नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान) जौलजीवी स्वास्थ्य जैसी समस्या में हमें पिथौरागढ़ या हल्द्वानी जाने में जितना समय लगता है, उतने में हम बरेली या दिल्ली तक पहुंच सकते हैं। इस सड़क से हमारा समय और जीवन दोनों बचेंगे।”

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