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काशीपुर -पिछले कई वर्षों में यह देखा गया है कि कुछ देशों द्वारा जासूसी गतिविधियों के साथ-साथ नशे का प्रसार भी एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। खासतौर पर युवाओं को मानसिक रूप से कमजोर करने के उद्देश्य से नशे को एक “साइलेंट हथियार” के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
. पाकिस्तान की भूमिका:
भारत में नशे की समस्या को बढ़ाने में पाकिस्तान की भूमिका कई रिपोर्टों में उजागर हो चुकी है। सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी, पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों में नशे की खेपें भेजना, और आतंकवाद को फंडिंग के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल — ये सभी पाकिस्तान प्रायोजित गतिविधियाँ हैं। इसके साथ ही, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पर कई बार भारत में जासूसी नेटवर्क फैलाने के आरोप लगे हैं। सामाजिक पतन का खतरा:
जासूसी और नशा—दोनों का लक्ष्य एक ही होता है: देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना और समाज को भीतर से खोखला करना। जब युवाओं को नशे में फँसाया जाता है, तो वो देश की उन्नति में बाधक बन जाते हैं और कई बार संवेदनशील सूचनाएं लीक करने जैसे अपराधों में भी फँस जाते हैं। समाधान की आवश्यकता:
सीमाओं की सख्त निगरानी
• नशा विरोधी अभियानों को मज़बूत करना
• युवाओं में राष्ट्रभक्ति व आत्मबल का संचार
• पाकिस्तान प्रायोजित गतिविधियों का वैश्विक स्तर पर पर्दाफाश करना।पाकिस्तान की नीति “1000 cuts” केवल गोली और आतंकवाद तक सीमित नहीं है, वह नशे और जासूसी के माध्यम से भी देश को चोट पहुंचा रहा है। इसके विरुद्ध एकजुट सामाजिक, प्रशासनिक और अंतरराष्ट्रीय रणनीति अपनाना आवश्यक है।

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