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लोक आस्था का संगम,, पर्व महाकुंभ
को कहि सकई प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ।। महाकुंभ के प्रथम स्नान के साथ ही यह पंक्तियां साकार हो गई जैसे समुद्र से मिलने के लिए नदियां आतुर रहती है वैसे ही आस्था,भक्ति और विश्वास का यह जन-ज्वार का यह सैलाब कुंभ स्नान के लिए उमड़ पड़ता है गंगा-दर्शन व स्नान से लोगों की सारी थकान काफूर हो जाती है व आत्मा को शांति मिल जाती है व लोग अपने कलुष-कलि मलो को धोते हैं व पाप मुक्त होते हैं इस बार महाकुंभ 13जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक चलेगा प्राचीन काल में देवताओं और असुरो के बीच समुद्र मंथन हुआ 12दिनो तक यह संघर्ष चला भगवान विष्णु के कहने पर गरूड़ ने अमृत कलश ले लिया असुरों ने गरूड़ से अमृत कलश छीनने का प्रयास किया तो पात्र से कुछ अमृत की बूंदें छलक कर प्रयागराज,नासिक, हरिद्वार, उज्जैन में गिरी इन्हीं चारों नगरों में 12वर्ष के अन्तराल पर कुंभ का अयोजन किया जाता है धर्म और अध्यात्म का ऐसा समागम और कहीं नहीं दिखता 144 वर्षों के अंतराल के बाद प्रयागराज में यह शुभ संयोग पड़ा है यह मेला भारतीय मूल्यों और संस्कृति को सहेजने का कार्य करता है यह मेला पर्व तमाम तरह के सामाजिक भेदभाव, छुआछूत को दूर कर सम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देता है तथा समस्त विश्व की समस्त मानवता को एकात्मकता के सुत्र में समायोजित करने की प्रेरणा देता है यह सनातन को परिभाषित करता हुआ यह करोड़ो लोगों के साधन , संसाधन से इस पूर्ण कुंभ को पूर्णता प्रदान करते हैं करोड़ो श्रद्धालुओं जन सैलाव को देखकर भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप सा दृष्टि गोचर प्रतीत होता है भारत बर्ष में पवित्र नदियों के किनारे ही अधिक तरह तीर्थों का प्रदुर्भाव हुआ यहां पर प्राकृतिक सुंदरता व विशिष्ट रमणीयता व सकारात्मक ऊर्जा का समावेश ही होता है कथाओं, सत्संग अनेक पूजास्थलो से घंटिया, शंखों की व मंत्र उच्चारण पूजा की मधुर ध्वनियां इसे और भी विशेष बनातीं है यह तनमन को शांति प्रदान करती है यहां पर्यावरण परिवेश का विशेष ध्यान रखने की बहुत अवश्यकता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए एक थैला,एक थाली रखने का श्रद्धालुओं में अभियान चलाया गया है जिससे कुंभ को स्वच्छ रखने का संदेश दिया गया है कुंभ का अर्थ धड़ा है जो जल और शरीर से जुड़ा है मिट्टी से बने इस शरीर को जल की ही अधिक अवश्यकता है यदि जल नही रहेगा तो कुंभ के साथ-साथ जीवन भी असंभव हो जायेगा नदियों की पवित्रता और संरक्षण पर भी सरकार व साधु-संतों को ध्यान देने की महती आवश्यकता है जिसमें हमारी नदियां पवित्र व तीर्थ प्राणवंत रह सके तथा कुंभपर्व का स्नान सार्थक हो सके
प्रस्तुती –नरेश छाबड़ा
आवास-विकास रूद्रपुर
8630769754

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