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खबर पड़ताल
रूद्रपुर NCLT के आदेशों के तहत 102 स्थाई श्रमिकों की कार्यबहाली कराने की मांग को लेकर एरा श्रमिक संगठन के मजदूर और उनके परिवार की महिलाऐं भारी तादाद में श्रम भवन रुद्रपुर पहुंचे।जहाँ आज सहायक श्रमायुक्त महोदय रुद्रपुर के नेतृत्व में दोनों पक्षों की वार्ता हुई।यूनियन महामंत्री दिनेश कुमार ने कहा कि आज की वार्ता सकारात्मक रही। सहायक श्रमायुक्त महोदय ने प्रबंधक वर्ग से कहा कि आपको एन सी एल टी के तहत हुई नीलामी की शर्तों के अनुसार सभी 102 स्थाई श्रमिकों को नौकरी में रखना होगा।उन्होंने प्रबंधन वर्ग को निर्देश दिया कि अगली तिथि में सभी श्रमिकों को नौकरी में रखने हेतु लिखित रोडमैप लेकर आयें। वार्ता की अगली तिथि 11 नववंबर 2025 को निर्धारित की गईं है।
उक्त प्रकरण के समाधान हेतु आज अपरजिलाधिकारी महोदय की मध्यस्ता में कलेक्ट्रेट रुद्रपुर में वार्ता निर्धारित थी। अपर जिलाधिकारी महोदय की ड्यूटी महामहिम राष्ट्रपति भारत के उत्तराखंड यात्रा के दौरान निर्धारित कार्यक्रम की आवश्यक तैयारी में लगने के कारण आज की वार्ता स्थगित कर दी गईं।
आज हुई वार्ता के दौरान प्रबंधक पक्ष द्वारा गलत तर्क प्रस्तुत किया कि कंपनी बंद से पहले ही सभी श्रमिकों का नागपुर प्लांट में ट्रांसफर हो चुका था। नीलामी के समय कोई भी श्रमिक कंपनी में नियोजन में नहीं था। कि नीलामी के बाद सबको ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया था। इस पर सहायक श्रमायुक्त महोदय ने स्पष्ट किया कि कंपनी के और उत्तराखंड के स्टेडिंग ऑर्डर के अनुसार उक्त स्थानांतरण अवैध था। कि कम्पनी द्वारा किसी श्रमिक को ग्रेच्युटी देने से उसका कंपनी में नियोजन भंग हो जाता है यह किस कानून में लिखा है। इसका प्रबंधक पक्ष के पास कोई उत्तर नहीं था।
यूनियन महामंत्री दिनेश कुमार ने यूनियन का पक्ष रखा कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC)2016 केंद्रीय कानून है।जिसकी धारा 238 कहती है कि इसके प्रावधानों में और अन्य कानूनों के प्रावधानों में एवं अदालतों के आदेशों में यदि कोई असंगतता आती है तो IBC कोर्ड और इसके आधार पर एन सी एल टी द्वारा पारित आदेश ही सब पर प्रभावी होंगे। कि एन सी एल टी की दिल्ली शाखा द्वारा नियुक्त लिक्विडेटर श्री ज्ञान चंद नारंग की देखरेख में अपेक्स बिल्डसिस लिमिटेड सिडकुल पंतनगर की हुई नीलामी प्रक्रिया के तहत उसे जसमृत डिजाइनर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कर्मचारियों और 102 श्रमिकों सहित खरीदा गया। एन सी एल टी द्वारा कम्पनी के स्वामित्व और प्रबंधन को जसमृत डिजाइनर को हस्तगत किया है। नये मालिक द्वारा नीलामी प्रक्रिया और स्वामित्व हस्तान्तरण में वर्णित सभी शर्तों को स्वीकार करते हुए एन सी एल टी को शपथ पत्र देकर सभी शर्तों के प्रति पूर्ण वचनबद्धता ब्यक्त की गईं।किन्तु एन सी एल टी के आदेशों के तहत पुराने 102 श्रमिकों को कम्पनी ने काम पर नहीं रखा। जो कि एन सी एल टी के उपरोक्त आदेश का, नीलामी के तहत स्वामित्व हस्तान्तरण में दर्ज शर्तों का और कम्पनी द्वारा दिए गये शपथ पत्र का एवं IBC कानून 2016 का घोर उल्लंघन है।उन्होंने अपना पक्ष रखा कि भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 256 में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि केंद्रीय कानूनों को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार के प्रशासन की है। कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस्साऱ स्टील इंडिया लिमिटेड बनाम सतीश कुमार गुप्ता और अन्य मामले में स्पष्ट आदेश दिया है कि एन सी एल टी में निर्धारित रिजॉल्यूशन प्लान और IBC कानून की धारा 238 बाध्यकारी है।यहाँ तक कि एन सी एल टी की ऊपरी बैंच एन सी एल ए टी को भी ऐसे रिजॉल्यूशन में फेरबदल करने का अधिकार नहीं है।ऐसे ही अनेक आदेश सुप्रीम कोर्ट ने पारित किये हैं। आज विडंबना यह कि हम मजदूर एक हाथ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश , दूसरे हाथ में एन सी एल टी में हुए कम्पनी के रिजॉल्यूशन प्लान के तहत स्वामित्व हस्तान्तरण के कागजों +IBC कानून की धारा 238 को लेकर दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। साथ में संविधान का अनुच्छेद 256 को भी दिखा रहे हैं जिसमें स्पष्ट लिखा है केंद्रीय कानून को लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य प्रशासन की ही है।इसके बावजूद भी कम्पनी प्रबंधक द्वारा उपरोक्त 102 स्थाई श्रमिकों को काम पर बहाल नहीं किया जा रहा है।
यूनियन उपाध्यक्ष सत विंदर सिंह ने कहा कि हमें आशा है कि कम्पनी प्रबंधक सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेशों को, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 256 को, IBC कानून की धारा 238 को और नीलामी प्रक्रिया के तहत स्वामित्व हस्तान्तरण हेतु वर्णित शर्तों को लागू करते हुए श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली कर देंगे। अन्यथा आंदोलन तेज करते हुए हम कंपनी गेट पर जाने को मजबूर होंगे। इस दौरान ,सुनील कुमार, दीवान सिंह, भारत जोशी, उपेंद्र राय ,दिनेश कुमार, मुन्ना, शंकर दत्त जोशी, पूनम देवी, रेखा देवी ,गीत पाल, सहित भारी संख्या में मजदूर और महिलाएं उपस्थित थे।

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