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वसुधैब कुटुम्बकम् काशीपुर के तत्वाधान में बढ़ रही जागरूकता

दिनांक 20 नवंबर की मध्य रात्रि को श्री अनिल अरोरा जी के देहावसान के पश्चात उनके सुपुत्र श्री विशाल अरोरा जी ने नेत्रदान की सहमति प्रदान कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। श्री अनिल अरोरा जी के नेत्रदान से दो नेत्रहीनों के नेत्र प्रकाशित होंगे और उनके प्रिय जन उनकी स्मृति को अमरत्व प्रदान करेंगे। अरोरा जी स्वयं समाज सेवा व धार्मिक कार्यों में संलग्न रहे एवम यह सराहनीय कार्य भी उनके जीवन प्रवृत्ति के अनुरूप है।
वसुधैव कुटुम्बकम काशीपुर के संस्थापक सदस्यों की उपस्थिति में टीम ने कागजी औपचारिकता पूरी कर ब्राह्मलीन अरोरा जी के शरीर से दान की गई आंख की ऊपरी परत (कॉर्निया) प्राप्त कीं।
वसुधैव कुटुम्बकम् काशीपुर के संस्थापक सदस्य श्री दीपक मित्तल जी ने बताया कि सनातन समाज में महर्षि दधीचि, राजा शिवि जैसे महान दानी हुए जिन्होंने जनहित में अपनो अंगों का दान किया। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग सोचते हैं कि नेत्रदान के दौरान पूरी आंख निकाल दी जाती है, जिससे आंख का सॉकेट खाली रहता है, जो सच नहीं है। सामान्यतः केवल कॉर्निया जो आंख की सबसे बाहरी परत होती है, जो आसानी से निकाली जाती है व नेत्रदान करने से किसी प्रकार का देह भंग नही होता है। उन्होंने ये भी बताया कि नेत्रदान करवाने के लिए वसुधैब कुटुम्बकम् के नेत्रदान सहायता हेतु (24×7)
98370 80678 या 9548799947 पर किसी भी समय संपर्क किया जा सकता है। वसुधैव कुटुंबकम् काशीपुर के तत्वाधान में 20-21 नवंबर की मध्य रात्रि सम्पन्न इस महान कार्य के प्रति उपस्थित सचिव प्रियांशु बंसल जी, संस्थापक सदस्य अजय अग्रवाल जी, दीपक मित्तल जी एवं सीए सचिन अग्रवाल जी ने नेत्रदानी अरोरा परिवार का आभार व्यक्त किया और परम पिता परमेश्वर से दिवंगत आत्मा की चिर शांति की प्रार्थना की तथा क्षेत्र वासियों से मरणोपरांत नेत्रदान कराने में सहयोग का आह्वान किया।
अरोरा परिवार द्वारा किये गये नेत्रदान मे समाजसेवी राजकुमार सेठी जी व विमल सेठी जी, अर्पण अरोरा जी का विशेष सहयोग रहा।

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