
भारतीय जनमानस में राम का नाम रचा बसा है बिना राम के भारतीय संस्कृति को जानना समझना मुश्किल है व भारतीय संस्कृति की कल्पना करना मुश्किल है रामलीला दर्शन के माध्यम से प्रभु श्रीराम के जीवन मुल्यो व कर्तव्यो को जानना- समझना आसान हो जाता है रामलीलाओं से व उससे जुड़े चरित्रों से शिक्षा ग्रहण कर नई पीढ़ी अपने जीवन को एक नई दिशा मिल सकती है महर्षि वाल्मीकि पहले डाकू रत्नाकर थे वह राहगीरों, से लूट-पाट करते थे एक बार उन्होंने कुछ साधु महात्माओ को पकड़ लिया और सब कुछ उसे सौंपने के लिए कहा यदि नही सोपोगे तो जान से हाथ धो बैठोगे तब साधुओं ने कहा कि जिसके लिए तुम ये लूट-पाट करते हो पाप कर्म करते हो क्या वे परिवार वालों तुम्हारे पाप कर्मो में दंड के भागी बनेंगे तब वह घर गया और घरवालों जाकर सबसे पूछा तो परिवार वालों ने कहा तुमने हमारी उदर पूर्ति करनी है जहां से जैसे मर्जी कमा के लाओ तुमने हमारा पेट भरना है हमें क्या हम तुम्हारे पाप कर्मो में भागीदार नहीं बनेंगे तब डाकू रत्नाकर को ज्ञान हुआ इतने सारे पाप कर्मों का दोष मेरे सिर पड़ेगा मुझे कितना दुःख भोगना पड़ेगा वह साधुओं के पास गया साधुओं से क्षमा मांगी और उनसे लूटा सामान वापस कर दिया और उनसे अपना जीवन सुधारने के लिए प्रार्थना की उनसे राम-नाम का मंत्र लेकर अपने जीवन को भक्तिमार्ग पर लगाया और संस्कृत के महान ग्रंथ वाल्मीकि रामायण की रचना कर जनकल्याण का मार्ग प्रशस्त किया प्रभु श्रीराम के जीवन में कितनी ही परेशानियां क्यों न आयी हो लेकिन वह से हमेशा सकारात्मकता से आगे बढ़ते रहे और रावण जैसे महान यौद्धा पर विजय प्राप्त की। रामायण हमें सांस्कृतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, पारिवारिक जीवन मुल्यो का ज्ञान देती है यदि हम प्रभु श्रीराम के जीवन से थोड़ा भी हम अपने आचरण में उतारगे तो हमारा जीवन सुख-शांति व खुशियों से भर जायेगा
प्रस्तुति-नरेश छाबड़ाआवास-विकास रूद्रपुर8630769754








