— एक साहित्यिक श्रद्धांजलि/

गदरपुर।साहित्य,कला व संस्कृति को समर्पित रहे स्वर्गीय सतीश गुम्बर की काव्यात्मक संवेदनाओं को अब एक पुस्तक “महक” के रूप में साहित्य जगत ने प्राप्त किया है। यह केवल कविताओं का संकलन नहीं,बल्कि एक संवेदनशील आत्मा की अंतिम इच्छाओं का मानवीय और सृजनात्मक निर्वहन है,जिसे साहित्यकार संजय सिंह ने शब्दों की माला में पिरोकर अमर कर दिया। मोनाड पब्लिक स्कूल परिसर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह ने एक भावप्रवण साहित्यिक आयोजन का रूप ले लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ कला और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के स्मरण के साथ हुआ,जिसे सुरों के माध्यम से संगीत एवं कला शिक्षक संजय कुमार ने प्रस्तुत किया। उपस्थित जनसमूह की भावनाओं को उस क्षण ने एक अद्भुत सांगीतिक पवित्रता प्रदान की। इसके पश्चात विद्यालय के प्रबंध निदेशक संजय सिंह,सतीश गुम्बर की धर्मपत्नी सिम्मी गुम्बर, पालिकाध्यक्ष मनोज गुम्बर, विनोद हुडिया,राजेश डाबर, रविन्द्र बजाज एवं अजीत सिंह ने संयुक्त रूप से “महक” का विधिवत विमोचन किया। यह वह क्षण था जब एक दिवंगत कवि की आत्मा मानो उपस्थित होकर इस सजीव श्रद्धांजलि को स्वीकार रही हो। विमोचन उपरांत काव्य-पाठ की सुरम्य संध्या का आयोजन हुआ,जिसमें कवि शेखर पाखी,शालिनी, भास्कर काविश,रूपेश कुमार सिंह और सरफराज जैसे रचनाकारों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनकी रचनाओं में मानो सतीश गुम्बर की रूह की सुगंध रच-बस गई थी। कवि सतीश गुम्बर का जीवन जितना बहुआयामी था,उतना ही अनुशासित भी। वे न केवल पर्यावरण प्रेमी और कवि थे, बल्कि एक कुशल बॉडीबिल्डर के रूप में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी। सादगी,संयम और मौन तपस्या उनके जीवन के मूलमंत्र थे। दुर्भाग्यवश,एक दिन कैंसर जैसी घातक बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया,किंतु जीवन की अंतिम सांसों तक वे कविता को थामे रहे। उनकी यह जिजीविषा ही “महक” के प्रत्येक पृष्ठ पर महसूस की जा सकती है। उनकी अंतिम इच्छा थी — “मेरी कविताएं किताब का रूप लें”,यह इच्छा आज पूरी हुई है, और यह संभव हुआ मोनाड स्कूल के एमडी संजय सिंह एवं उनकी समर्पित टीम के अथक परिश्रम से। उन्होंने न केवल कविताओं को संकलित किया, बल्कि उन्हें साहित्यिक और भावनात्मक सौंदर्य के साथ प्रस्तुत भी किया। कवि के सुपुत्र शिवांग गुम्बर ने इस अवसर पर कहा, “आज पापा का सपना पूरा हुआ, वे जहां भी होंगे,गर्व और संतोष से हमें देख रहे होंगे।” उनकी आँखों की नमी और मुस्कान इस संतोष का प्रतीक थी। कार्यक्रम का सशक्त संचालन राजू भुड्डी और राजेश अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर साहित्य और समाज के अनेकों गणमान्यजन उपस्थित थे,जिनमें पवन बजाज,वेद राज बजाज,सतीश भुड्डी,प्रदीप फुटेला, कृष्ण लाल अनेजा, राजेश भुसरी,अनिल नारंग,हरेंद्र बेहड़,जगदीश भुड्डी,आशीष अनेजा,महक,शिखर,शिवांग, मानसी गहलोत,ममता बाजपेयी और सूरज बैरागी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी सम्मिलित हुए। “महक” अब केवल एक पुस्तक नहीं,बल्कि वह पुलकित स्मृति है,जो कवि सतीश गुम्बर को आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रखेंगीं। यह कृति उन सभी के लिए प्रेरणा है जो शब्दों के माध्यम से जीवन की असंख्य परतों को छूना चाहते हैं।






