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श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी रमण पूरी महाराज, पंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी ने कहा कि सनातन धर्म भारत की आत्मा है और यह भूमि संतों, तपस्वियों एवं धर्म की पुण्यस्थली रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जब-जब अधर्म ने समाज में सिर उठाया है,तब-तब धर्म का उत्थान हुआ है और सनातन परंपरा ने मानवता को सही दिशा दिखाई हैमहामंडलेश्वर डॉ. स्वामी रमण पूरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म केवल किसी एक समाज या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व के कल्याण की भावना से ओत-प्रोत है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संदेश देने वाला सनातन धर्म मानवता, करुणा, सहअस्तित्व और शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। यही कारण है कि आज पूरा विश्व भारत की ओर आध्यात्मिक दृष्टि से आशा भरी नजरों से देख रहा है।
उन्होंने कहा कि हिंदू समाज जब तक संगठित नहीं होगा, तब तक राष्ट्र और विश्व के कल्याण का संकल्प पूर्ण नहीं हो सकता। मातृशक्ति का सम्मान, भगवा ध्वज का गौरव, भारतीय शिक्षा प्रणाली का संरक्षण, सनातन संस्कृति की रक्षा तथा सामाजिक एकता—ये सभी तत्व मिशन ‘विश्व गुरु’ को साकार करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
स्वामी रमण पूरी महाराज ने कहा कि आज आवश्यकता है कि प्रत्येक परिवार सनातन मूल्यों को अपनाए और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाए। बच्चों में भारतीय संस्कृति, संस्कार, धर्म और राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करना समय की मांग है। संगठित हिंदू समाज ही भारत को पुनः विश्व गुरु के शिखर पर स्थापित कर सकता है।उन्होंने आह्वान किया कि सनातन धर्म की इस पुकार को जन-जन तक पहुंचाया जाए और हर परिवार यह संकल्प ले कि वह धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के उत्थान के लिए सक्रिय भूमिका निभाएगा। यही संकल्प भारत को पुनः विश्व का मार्गदर्शक बनाएगा।

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