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हल्दूचौड़।13 जुलाई 2025 की रात को हुए एक हृदयविदारक सड़क हादसे में हल्दूचौड़ निवासी दीपक जोशी की मौत ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया था। इस दर्दनाक घटना के बाद अब एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। समाजसेवी कपिल राणा की शिकायत पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए निर्माण एजेंसी के खिलाफ औपचारिक जांच आदेश जारी कर दिए हैं।NHAI की परियोजना कार्यान्वयन इकाई, रुद्रपुर ने NH-109 (रामपुर-काठगोदाम खंड) के अंतर्गत किलोमीटर 43 से 93 तक निर्माण कार्य कर रही निर्माण एजेंसी मैसर्स गावर नैनीताल हाईवे प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी कर तत्काल जांच आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस कार्रवाई की प्रति शिकायतकर्ता कपिल राणा को भी भेजी गई है।

समाजसेवी कपिल राणा की भूमिका और आरोप:

समाजसेवी कपिल राणा ने अपनी शिकायत में दीपक जोशी की मौत के लिए NH की निर्माण एजेंसी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि:

जिस स्थान पर दुर्घटना हुई, वह NH-109 पर एसबीआई हल्दूचौड़ शाखा के निकट स्थित है।

वहाँ पर न तो सुरक्षित क्रॉसिंग (ओवरब्रिज/अंडरपास) की व्यवस्था है और न ही कोई ट्रैफिक सिग्नल, जिससे राहगीरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

स्ट्रीट लाइट की कमी के कारण रात्रिकालीन दृश्यता लगभग शून्य है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

सीसीटीवी कैमरों की अनुपस्थिति के कारण ट्रैफिक संचालन और निगरानी असंभव है।

कपिल राणा ने कहा कि “दीपक जोशी की अकाल मृत्यु के लिए एनएच की लापरवाही और घटिया प्लानिंग जिम्मेदार है। यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक प्रणालीगत असफलता है।”

तीन मासूमों का भविष्य अंधेरे में:

दीपक जोशी अपने पीछे अपनी पत्नी और तीन मासूम बच्चों को छोड़ गए हैं। समाजसेवी कपिल राणा ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मृतक के परिजनों को उचित आर्थिक मुआवजा प्रदान करने की भी मांग की है।

उन्होंने कहा, “जो बच्चे आज अनाथ हो गए हैं, उनके भविष्य की जिम्मेदारी अब सरकार और एजेंसियों की है। एक जीवन गया, पर कई जिंदगियां तबाह हो गईं।”

प्रशासन की अगली परीक्षा:

अब सवाल यह है कि क्या राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा उठाया गया यह कदम वास्तव में ठोस कार्रवाई में बदलेगा, या फिर यह मामला भी अन्य हादसों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

जनता और मीडिया दोनों की निगाहें अब निर्माण एजेंसी पर संभावित कार्रवाई और प्राधिकरण की जवाबदेही पर टिकी हुई हैं।

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