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पद्मश्री वैध बालेंदु प्रकाश द्वारा असाध्य रोगों का आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से उपचार कर मरीजों को जीवनदान देने के लिए बधाई दी

गदरपुर। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय राज्य रक्षा मंत्री अजय भट्ट ने कहा है कि आयुर्वेद और विज्ञान के सम्मिलन से असाध्य रोगों का समाधान संभव है। उन्होंने पेनक्रिएटाइटिस जैसे जानलेवा रोग के लिए वैद्य बालेन्दु प्रकाश द्वारा विकसित आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को एक “वैज्ञानिक चमत्कार” बताया और कहा कि यह प्रणाली आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।

सांसद अजय भट्ट ने गदरपुर स्थित वैद्य चंद्र प्रकाश कैंसर रिसर्च फाउंडेशन और पड़ाव क्षेत्र में स्थापित विशिष्ट आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र का दौरा किया। यहां उन्होंने पेनक्रिएटाइटिस से जुड़े 28 वर्षों के आंकड़ों,औषध निर्माण की प्रक्रिया और आधुनिक उपकरणों के संयोजन का गहन निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 से जून 2025 तक 2242 मरीजों का डेटा संकलित किया गया है,जिसमें से 62.3% रोगियों को पूर्ण या अस्थायी रूप से राहत मिली है,जो आयुर्वेद की प्रभावशीलता का प्रमाण है।

पेनक्रिएटाइटिस वह रोग है जिसमें रोगी को पेट के ऊपरी हिस्से में असहनीय पीड़ा,उल्टी, वजन में तेज गिरावट और ब्लड शुगर असंतुलन जैसे लक्षण होते हैं। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है,केवल जीवनभर की परहेज़ और अस्थायी उपचार ही विकल्प हैं। अजय भट्ट ने कहा, “आधुनिक चिकित्सा जहां लाचार दिखती है,वहीं आयुर्वेद समाधान प्रस्तुत करता है। वैद्य बालेन्दु प्रकाश की औषधि उन रोगियों के लिए वरदान बन गई है जिन्हें पहले असाध्य माना जाता था।”
इस चिकित्सा पद्धति की जड़ें 1970 के दशक में वैद्य चंद्र प्रकाश द्वारा विकसित पारंपरिक ‘गंधक जरना’ प्रक्रिया में हैं, जिसके माध्यम से बनी दवा से 1972 में एक गंभीर रोगी को ठीक किया गया था। उनके पुत्र वैद्य बालेन्दु प्रकाश ने उस पर शोध जारी रखा और 1997 से व्यवस्थित आंकड़े एकत्र करने शुरू किए। आंकड़ों से यह भी सामने आया कि पेनक्रिएटाइटिस के अधिकांश मरीज उत्तर भारत से हैं—जिनमें से अधिकतर ने कभी शराब का सेवन नहीं किया था, जो इस रोग के कारणों को लेकर नई दृष्टि प्रदान करता है।
सांसद भट्ट ने जापान निर्मित एक्स-रे डिफ्रैक्टोमीटर उपकरण का उद्घाटन भी किया, जो औषधियों की संरचना और प्रभाव का विश्लेषण करता है। यह मशीन IPCA Laboratories द्वारा CSR योजना के तहत संस्थान को भेंट की गई है,जिसकी कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये है। सांसद ने औषध निर्माण की मर्दन प्रक्रिया,पार्टिकल इम्यूनाइज तकनीक, रसायनशाला,मत्स्य पालन, गौशाला और आयुर्वेदिक आहार प्रणाली का निरीक्षण भी किया।
इस अवसर पर उन्होंने देशभर से आए 26 पेनक्रिएटाइटिस रोगियों और उनके परिजनों से मुलाकात कर अनुभव साझा किए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयुर्वेद को बढ़ावा देने की नीति की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी के ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ के साथ अब ‘जय अनुसंधान’ के आह्वान से भारत आयुर्वेदिक विज्ञान में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।”

वैद्य बालेन्दु प्रकाश ने बताया कि इस पद्धति को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024 में पेटेंट भी मिल चुका है। उन्होंने सांसद से अनुरोध किया कि इस आविष्कार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक मान्यता दिलाने में सहयोग करें ताकि भारत चिकित्सा विज्ञान में नोबेल पुरस्कार के योग्य कार्य कर सके।

कार्यक्रम के अंत में सांसद अजय भट्ट ने ‘रसशाला’ परिसर में केसर का पौधा रोपा और भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति को आधुनिक संदर्भ में जीवित रखने वाले समस्त आयुर्वेदाचार्यों व शोधकर्ताओं का आभार प्रकट किया। उन्होंने वैद्य शिखा प्रकाश, नेहा नेगी,सार्थक मारिया,श्रीमती ललिता,वैद्य अनिल,वैद्य सोनी, श्रीमती गोपा इंदु,सुनील शर्मा, पंकज,गीतू व परवेश सहित पूरी टीम की सराहना की और कहा कि सरकार इस प्रकार के कार्यों को हरसंभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान गदरपुर पालिकाध्यक्ष मनोज गुंबर सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।

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