श्रीनगर गढ़वाल। देश की राजनीति,नौकरशाही और उच्च पदों पर बैठे लोगों को अगर किसी एक व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए,तो वह हैं भारत रत्न,पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम।उनका जीवन सादगी,मितव्ययिता,ईमानदारी,विनम्र,विद्वता और मानवीय मूल्यों की ऐसी मिसाल है,जिसकी आज के समय में सबसे अधिक आवश्यकता है। आज जब देश उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा है तो उनका एक प्रेरणादायक प्रसंग स्मृति में कौंधता है। यह प्रसंग चाणक्य की झोपड़ी और एक अतिथि से जुड़ी एक घटना के समानांतर डॉ.कलाम की जीवनशैली को दर्शाता है। चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य एक बार सरकारी काम कर रहे थे,तभी एक अतिथि मिलने आए। चाणक्य ने तत्काल सरकारी तेल से जल रहा दीपक बुझा दिया और अपने निजी दीपक की लौ में अतिथि से संवाद किया। जब कारण पूछा गया,तो उत्तर मिला सरकारी दीपक सरकारी कार्य के लिए था,अतिथि से बातचीत मेरा निजी काम है। डॉ.कलाम ने इस मूल्यों से भरे प्रसंग को जीवन में उतारा। राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी उन्होंने न सत्तासुख लिया,न विलासिता को अपनाया। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी संपूर्ण जमा पूंजी दान कर दी और कहा कि अब मेरी देखभाल सरकार करेगी,फिर मैं अपनी बचत का क्या करूं,वो राष्ट्रपति भवन में केवल दो सूटकेस लेकर आए थे एक में वस्त्र,दूसरे में पुस्तकें। और कार्यकाल पूरा होने के बाद भी उतना ही लेकर गए। साधारण परिवार से निकले इस असाधारण व्यक्तित्व ने अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। मिसाइलों की श्रृंखला अग्नि,पृथ्वी,त्रिशूल,ब्रह्मोस देश को आत्मनिर्भरता के पथ पर ले गई। वे वैज्ञानिक थे,परंतु आध्यात्म में भी गहरी आस्था रखते थे। मुसलमान होकर भी रामायण,गीता और कुरान और सभी में विश्वास रखने वाले कलाम एक भारतीय आदर्श के प्रतीक थे। उनका बचपन रामेश्वरम की गलियों में बीता,सपनों की उड़ान वहीं से शुरू हुई। उन्होंने समुद्र की लहरों से जीवन के संघर्ष को पढ़ा और पक्षियों की उड़ान से सपने देखने की ताकत पाई। आज जब देश भ्रष्टाचार के दलदल में घिरा है,तब डॉ.कलाम जैसी शख्सियत का स्मरण और अनुकरण हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है। 27 जुलाई 2015 को शिलांग में आईआईएम की एक संगोष्ठी के दौरान युवाओं को संबोधित करते हुए ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और यह महान व्यक्तित्व हमें छोड़कर चला गया। परंतु वे अपने विचारों,मूल्यों और सपनों के जरिए आज भी हमारे बीच जीवित हैं। डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन,सादगी और सिद्धांतों के इस महामानव को विनम्र श्रद्धांजलि।







