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ढाढी दलेर कौर,कथावाचक हरप्रीत सिंह मक्खू,रागी हरजीत सिंह,ग्रंथी जसवीर सिंह,कविश्री सतनाम सिंह शौंकी ने किया गुरबाणी कीर्तन एवं गुरु इतिहास का वर्णन,गुरु ग्रंथ साहब को नमन करके लोगों ने किया लंगर प्रसाद ग्रहण

गदरपुर । गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाबगंज उत्तराखंड/उत्तर प्रदेश में 20 और 21 अक्टूबर दिन सोमवार और मंगलवार को दो दिवसीय बंदी छोड़ दिवस मनाने के लिए भारी गुरमत समागम और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाबगंज के प्रमुख सेवादार वीर अनूप सिंह ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के बंदी छोड़ दिवस मनाने के लिए संगत द्वारा भारी संख्या में आयोजित किए गए गुरमत समागमों मैं सहभागिता की गई । दो दिवसीय समागम में ढाणी बीबी दलेर कौर पंजाब द्वारा गुरु हरगोबिंद साहिब एवं अन्य शहीदी इतिहास का वर्णन किया गया वही प्रसिद्ध कथावाचक एवं प्रचारक हरप्रीत सिंह मक्खू द्वारा गुरु हरगोबिंद साहिब जी के इतिहास का वर्णन करने के साथ संगत को सिक्ख रहित मर्यादा एवं गुरमत सिद्धांतों को अपनाए जाने का आह्वान किया । हजूरी रागी जत्था भाई हरजीत सिंह द्वारा गुरबाणी का मनोहर कीर्तन करके संगत को निहाल किया गया, ग्रंथी भाई जसवीर सिंह ने गुरबाणी की कथा के साथ सभी संगत को पंजाबी भाषा एवं गुरबाणी का जाप नित्य प्रति करने की अपील की । कविश्री जत्था भाई सतनाम सिंह शौंकी द्वारा शहीद भाई मनी सिंह एवं अन्य शहीदों का इतिहास वर्णित किया । अन्य वक्ताओं द्वारा गुरबाणी कथा कवि श्री करके संगत को गुरु इतिहास से जोड़ने का संकल्प करवाया । कार्यक्रम में मीरी पीरी खालसा एकेडमी द्वारा भी कार्यक्रम में सहभागिता की गई । दूर दराज से आए दुकानदारों एवं झूले वालों द्वारा मेले की रौनक को बढ़ाया । मुख्य सेवादार वीर अनूप सिंह ने बताया कि हर अमावस को संगत द्वारा गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंदसर नवाबगंज पहुंचकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं, उन्होंने बताया कि संगत के लिए 24 घंटे लंगर की सुविधा उपलब्ध है । इच्छुक बच्चों द्वारा यहां रहकर पंजाबी भाषा एवं गुरबाणी का प्रशिक्षण लिया जाता है । कई बेसहारा बुजुर्ग भी यहां पर आश्रित रहते हैं जिनके लिए लंगर एवं रिहायश की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है। उन्होंने गुरु घर को सहयोग देने वाली सभी संगत का हार्दिक धन्यवाद किया ।

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