
हिन्दू सत्य-सनातन-संस्कृति में पवित्र शब्द ॐ को बहुत ही शक्तिशाली व सार्वभौमिक रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है इस पवित्र शब्द में पूरा का पूरा बाहमाडं समाया है यह केवल ध्वनि ही नहीं अपितु अन्नत शक्ति का प्रतीक है सृष्टि सृजन से पुर्व भी इसका अस्तित्व माना गया है यह एक अनहद नाद शब्द है बाह्यण्डं की उत्पत्ति व पूरी सृष्टि का घोतक है किसी मंत्र व आरती-पूजा की शुरुआत करने से पहले इस पवित्र शब्द का प्रयोग अक्सर किया जाता है ओम शब्द त्रिदेव का प्रतिनिधित्व करता है ओम शब्द धर्म ,अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों का प्रदायक है यह शब्द अ+उ+म से मिलकर बना एक युग्म है अ क्रमशः नाभि मणिपूर चक्र,उ अनाहद चक्र हृदय,म आज्ञा चक्र तिलक, बिंदी त्रिनेत्र स्थान को प्रभावित करता है यह निर्माण, संरक्षण, और रूपान्तरण को व्यक्त करता है जब सभी ध्वनियां एक साथ एकत्र होती है तब ओम शब्द बनता है यह अपने आप में एक पूर्ण शब्द है इसकी चेटिंग करने से वोकलकाड साफ होता है तथा आवाज मधुर होती है यह मन की एकाग्रता व स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला, ध्यान लगाने वाला व तनाव कम करने वाला है तथा मिर्गी रोग का हरण करने वाला है यह नशा आदि व्यसनो मुक्ति दिलाने वाला ब्लड सर्कुलेशन ठीक करने वाला,पाचनतंत्र, करनेवाला,थायराइड रोग दूर करने वाला व हृदय की धड़़कनो को व्यवस्थित करने वाला है इससे नाड़ी तंत्र व श्वसनतंत्र मजबूत बनाता है यह ईश्वर से जुड़ने वाला तथा मोक्ष प्राप्ति में मददगार है विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य बी,के, अयंगर की पुस्तक लाइट आन योगा, के अनुसार ओम अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाता है यह सर्वज्ञता, सर्वव्यक्तता, सर्वशक्तिमानता को व्यक्त करता है इससे आभामंडल औरा साफ होता है इससे इम्युनिटी बढ़ती है अनिद्रा, डिप्रेशन, अल्जाइमर जैसी बिमारियों के इलाज में कारगर है शरीर के कफ , पित्त,वात में समांजस्य बिठाने में कारगर है रह शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने वाला है इसका निरन्तर अभ्यास करने मनुष्य जीवन में उत्थान व लक्ष्य प्राप्ति में मददगार साबित होता है
नरेश छाबड़ा
आ,वि, रूद्रपुर
8630769754








