होली आई रे कन्हाई,,,
जब प्रकृति भीषण शीत से उबरकर अपने यौवन पर पूर्ण रूप से मदमाती, हुलसाती सोलह श्रृंगार कर उल्लासित हो खुशियो से भर उठती है प्रकृति शीत व समर में सामंजस्य बिठाती हल्की ठंडी बयार तन को छूकर दूर निकल जाती है जिससे तन-मन में सिरहन व उल्लास पैदा होने लगता है फागुन-मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला रंगों यह त्योहार होली जीवन में खुशियां व स्नेह का पदार्पण कर जिंदगी को महकाता है यह त्यौहार समरसता व समानता का प्रतीक है समस्त गिले शिकवे व भेदभाव मिटाकर प्रेम व सौहार्द से लोग एक- दूसरे को रंग लगाकर गले लगाते हैं जिस तरह अनेक रंग मिलकर आपस मे खिल जाते हैं उसी तरह होली का त्यौहार हमें हिल मिल कर व प्रेम से रहना सिखाता है बरसाना की लठ्मार होली विश्व प्रसिद्ध है जो राधा ,कान्हा व गोपियों के स्नेह से सराबोर हो भक्तो के जीवन में प्रेम- भक्ति का एक नया उल्लास भरती है एक नया अध्याय लिख जीवन को एक नई दिशा देती है यह त्यौहार ईर्ष्या पर प्रेम की विजय का पर्व है।,,,होली आई रे कन्हाई रंग बरसे सुना दे जरा बांसुरी, होली के दिन दिल मिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं,रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे ,आज न छोड़ेंगे बस हम जोली खेलेंगे हम होली,मैंने रंग ली आज चुनरिया सजना तेरे रंग में जैसे भावपूर्ण सुंदर फिल्मी होली गीतों का सुंदर फिल्मांकन फिल्मो में प्रस्तुत किया है जो इस त्यौहार को और अधिक जीवंत व सजीव बनाता है किसी को नुक़सान पहुंचाये बिना हानिकारक रंग के,नशे व हुडदंग से दूर रहकर व प्यार से अबीर- गुलाल आदि रंग लगाकर होली के त्यौहार को यादगार व खूबसूरत बनाना चाहिए।

