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हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला त्यौहार दीपोत्सव यह सिर्फ भारतीय परम्परा ही नहीं बल्कि यह ,संस्कृति, संस्कारों व रोशनी का एक उत्सव है इससे प्राप्त आनन्द व खुशी की रोशनी लोगो‌ के चेहरे पर खूबसूरती बिखेरती है दिवाली अमावस्या की गहन तमस से भरी गहरी रात को उजाला फैलाती नजर आती है यह त्यौहार हमारी पुरातन परम्परा, आध्यात्मिकता, सामाजिक एकता को जोड़ने व मजबूत करने का कार्य करती है यह त्यौहार हमारी कला, संस्कृति, संगीत, ज्ञान व परम्पराओ के जुड़ाव के लिए मुख्य भूमिका निभाती हैं अनेक प्रकारकीपूजाएं ,मंत्र,मधुरसंगीत-कीर्तन,उपवास व सुस्वादु भोज्य पदार्थ हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालते हैं सकारात्मक ऊर्जा से हमारा मन खिल उठता है सर्वत्र खुशी का माहौल स्वर्ग सा प्रतीत होता है इस दिन भगवान राम, माता सीता व वीर लक्ष्मण 14 वर्षो का वनवास काटकर अयोध्या में आये थे इसलिए नगरवासियों ने उनके स्वागत मे मिट्टी के दिये जलायें थे यह त्यौहार अधंकार पर प्रकाश का अज्ञान पर ज्ञान का बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है पांच दिनों तक चलने वाला दीपोत्सव पर लोग अपने प्रतिष्ठानो व अपने घरों में सफाई कर रंग-बिरंगी लाइट्स व रंगोली से सजाकर अपनी खुशी का इज़हार करते हैं इस दिन धन की देवी लक्ष्मी, विध्न हर्ता भगवान गणेश जी व कुबेर देवता की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है व मिठाई का आदान-प्रदान किया जाता है व नये एंटीक वस्त्र धारण किये जाते हैं यह त्यौंहार हमें आशावादी साहसी उदारतावादी,कृतज्ञता जैसे मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता हैं साथ ही हमें भीतर के अज्ञान को दूर कर ज्ञान व सकारात्मकता को अपनाने का संदेश देता हैं किसी प्रकार के नशे व जुएं जैसी सामाजिक बुराई से दूर रहकर इसे मनाना चाहिए प्रभु- प्रेम से जुड़कर मन में इस त्यौहार की सच्ची खुशी का आलोक भरकर इसका आनंद उठाना चाहिए तभी इसे मनाने की सार्थकता है
प्रस्तुति-नरेश छाबड़ाआवास-विकास रूद्रपुर 8630769754

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