मानव शरीर अपने हाथ की पांचों अंगुलियों को मिलाते हैं तो यह प्रकृति के पांचों तत्वों की एकता का प्रतिनिधित्व कर प्रदर्शित करती है जिन तत्वों जल -वायु , नदियां, पेड़- पौधे, फल,मिट्टी आदि से हम जीवन भर धिरे रहते हैं व मुफ्त में जीवन भर हम इन उपयोग करते हैं। आजकल हम किसी भी पर्यटक स्थल पर जाते हैं वहां सिंधल युज कचरा फैक आते हैं जिससे वहां का पर्यावरण प्रदूषित होता है और वहां की सुंदरता नष्ट होने लगती है इसका ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है यही प्लास्टिक जब धरती के नीचे धंसती है तो वहां की धरती को वर्षा पानी पास न होने से बंजर होने की संभावना हो जाती है मोटरे व समरसिर्बल भी भूगर्भीय जल को कम करता है जिससे सिंचाई के लिए जल की सुलभता कम हो जाती है इसका कम से कम प्रयोग करना चाहिए हमें फसलों पर अत्यधिक कैमीकल व रसायनिक खादो का प्रयोग करने से मृदा प्रदुषित हो कर जिसका जल भू-गर्भ तक पहुंच जाता है वहां से नदियों से होता हुआ समुद्र तक जाकर प्रदूषण फैलाता है रसायनिक खादें कुछ ही वर्षों में खेतों को बंजर कर देती है यूरिया के सेवन से मनुष्य में यूरिक एसिड, लीवर, स्किन डिसीज,कैन्सर,गुर्दे सम्बंधित बीमारियो में बढ़ोतरी पायी गयी है अब हमें आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए यह मानव शरीर के लिए मुफीद है हमें अपने घरों की छतों व गमलों में ताजी सब्जियां उगानी चाहिए व व उनका सेवन करना चाहिए जहां खाली स्थानों हो वहां हरियाली करनी चाहिए सरकारो द्बारा प्रतिबंध लगाने के बाबजूद भी आजकल प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है यह प्लास्टिक न सिर्फ जानवरों के पेट में ही नहीं पहुंचता बल्कि माइक्रोप्लाटिक के रूप में मनुष्य के शरीर में भी प्रवेश कर चुका है शोध बताते हैं हर व्यक्ति के शरीर में 50,000 से अधिक माइक्रोप्लाटिक कण पहुंच चुके हैं जो हमारे आन्तरिक अंगों पर सीधा प्रभाव डाल रहे हैं व समुद्र में भी प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है जो जलीय जीव-जन्तुओ के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो रहा है सरकार नीति व कानून तो बना सकती है लेकिन इसका पालन करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कंकरीट के बढ़ते जंगल व अनियंत्रित विस्तार ने हमारी प।रिस्थितिक तंत्र पर बड़ा गंभीर प्रभाव डाला है जिससे बर्फ़ के पिघलने, गैस उत्सर्जन, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है जिससे अतिवृष्टि, तुफान, बाढ़,सूखा, भूस्खलन आदि आपदाओं से जलवायु असन्तुलन का सामना करना पड़ रहा है धरती हमारी मां है तथा पेड़ पृथ्वी के फेफड़े है जितने अधिक पेड़ होंगे उतनी जीवन दायिनी आक्सीजन बढ़ेगी व हमारी जीवन प्रत्याशा बढ़ेगी हमें तालाब, पोखर,गधेरे नौले, नदियों का इस्तेमाल जल संचय व संरक्षण करना चाहिए विश्व पर्यावरण दिवस व हरेला का पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है हर एक बूंद व प्रत्येक वोट अमूल्य है,तथा सरकार द्बारा चलायी गयी मुहिम ,एक पेड़ मां के नाम,, का हिस्सा बन कर पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभायें यदि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो मानव जीवन सुरक्षित व सुखमय बना सकेगा व जीवन को योग से आबद्ध करने के लिए शुद्ध आक्सीजन मिल सकेगी।
प्रस्तुति,, नरेश छाबड़ा
आवास-विकास रूद्रपुर
8630769754







