
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी–लेनिनवादी) ने मोदी सरकार द्वारा मनरेगा कानून को कमजोर करने के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति महोदय को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में दिया।ज्ञापन में लिखा गया कि यह बेहद खेद का विषय है कि हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और सलाह-मशविरे के बिना ही केंद्र सरकार गुपचुप तरीके से संसद में मनरेगा को ख़त्म करके वी बी- ग्राम जी विधेयक लायी, उसे पारित करवाया और अब उस पर महामहिम राष्ट्रपति की मोहर लगवा कर कानून भी बनवा दिया गया है.
एक मांग आधारित काम की योजना, जिसमें काम के अधिकार की गारंटी थी, उसे ख़त्म करके एक ऐसी योजना लायी गयी है, जिसका सबसे पहला शिकार काम का अधिकार ही है.देश में किसान, खेत मजदूर और नागरिक संगठन लगातार यह मांग कर रहे थे कि मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ा जाए, लेकिन मनरेगा को ख़त्म करके लायी गयी इस नयी योजना में खेती-किसानों के सीजन में 60 दिन तक योजना को बंद रखने का प्रावधान करके खेत मजदूरों को रोजगार हीनता और शोषण की तरफ धकेलना ही है.
वी बी- ग्राम जी के नाम से जो कानून पास करवाया गया है, वह सब कुछ केंद्र के पास केन्द्रित करने की भाजपा सरकार की एक और कोशिश है. यह ऐसा कानून बनाया गया है, जिसमें जिम्मेदारियों का विकेंद्रीकरण राज्यों को कर दिया गया है, लेकिन अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के हाथों में केंद्रीकृत रहेंगे. पहले से ही कमजोर आर्थिक स्थिति झेल रहे राज्यों पर इस योजना में 40 प्रतिशत बजट अंश लाद दिया गया है, जो एक तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने से सरकार का कदम पीछे खींचने जैसा ही है.
यह मोदी सरकार की प्रवृत्ति है कि वह योजनाओं को जनहित के लिए नहीं बल्कि अपने क्षुद्र सांप्रदायिक और भाषाई वर्चस्व थोपने के औजार के तौर पर इस्तेमाल करती है, ऐसा ही इस योजना के नाम में भी किया गया है.
हम यह मांग करते हैं कि काम के अधिकार पर हमला करने वाली, देश के संघीय ढांचे की अवहेलना करने वाली, क्षुद्र सांप्रदायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कानून के रूप में लायी गयी इस योजना को रद्द किया जाए. मनरेगा को ही जरुरी सुधारों के साथ लागू किया जाए, 200 दिन काम और 600 रुपया प्रतिदिन मजदूरी की गारंटी की जाए.ज्ञापन प्रेषित करने वालों में जिला सचिव ललित मटियाली, उत्तम दास, विजय शर्मा, नरेश कुमार थे।










