पर्यावरण संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रयासों की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें एकजुट होकर प्रकृति के संरक्षण की दिशा में भी चिंतन करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण जीवन से जुड़ा है, पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्डवासियों के स्वभाव में है। हरेला जैसे पर्व प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का ही परिणाम हैं। पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखण्डवासियों की अग्रणी भूमिका रही है। प्रदेश सरकार समृद्ध जैव संसाधनों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। उत्तराखण्ड अपनी वन सम्पदा और नदियों के कारण पर्यावरण संरक्षण की मुहिम का ध्वजवाहक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों के साथ ही आम लोगों, जन प्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना जागृत करने और इसके संवर्द्धन में निरंतर सक्रिय योगदान करना होगा। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के साथ ही नदी और जल स्रोतों की साफ सफाई के लिए भी पूरा प्रयास जरूरी है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की भी जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में संचालित पौधरोपण एवं स्वच्छता अभियान में सभी लोग बढ़चढ़ कर प्रतिभाग करें। उन्होंने कहा कि “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने और उत्तराखण्ड को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।


