
दिल्ली के झंडेवालान स्थित प्राचीन पीर रतन नाथ मंदिर परिसर में की गई बुलडोजर कार्रवाई के विरोध में अब उत्तराखंड के किच्छा मे स्थित हर श्री नाथ मंदिर के सेवकों के द्वारा आक्रोश खुलकर सामने आ गया है।
29 नवंबर को डीडीए और एमसीडी द्वारा दिल्ली के मंदिर परिसर के तुलसी वाटिका और लंगर हॉल को ध्वस्त किए जाने से आहत सनातन समाज ने किच्छा आवास विकास में स्थित पीर रतन नाथ मंदिर से हरे राम के संकीर्तन के साथ रोष मार्च निकाला।सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पोस्टर, बैनर और झंडों के साथ इकट्ठा हुए और मंदिर के सेवकों के द्वारा प्रेस वार्ता के माध्यम से केंद्र और दिल्ली सरकार से मंदिर की जमीन अति शीघ्र मंदिर समिति को वापस देने की मांग उठाई। वार्ता मे बताया की दिल्ली मंदिर मे जब बुलडोजर चलाया गया था ओर कार्रवाई के दौरान मंदिर की बिजली, पानी और सीवर लाइन काट दी गई, जिससे मंदिर की व्यवस्थाएं पूरी तरह बाधित हो गईं। भगवान की नियमित आरती और भोग तक प्रभावित हुआ और श्रद्धालुओं को दर्शन से वंचित होना पड़ा।प्रेस वार्ता में मंदिर सेवकों के द्वारा यह भी बताया गया की वर्ष 1974 में डीडीए ने पीर रतन नाथ मंदिर समिति को 3803 गज भूमि आवंटित करी थी, लेकिन अब बड़ी मात्रा में जमीन पर टीन शेड लगाकर कब्जा कर लिया गया है, जबकि मंदिर समिति के पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं।मंदिर के सेवकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करते हुए मंदिर की जमीन लौटाने, टीन शेड हटाने और परिसर में पुनः निर्माण की अनुमति देने की मांग दोहराई है।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई केवल एक मंदिर पर नहीं, बल्कि करोड़ों मंदिर के सेवकों की आस्था पर सीधा प्रहार है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।












