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ब्रह्मालीन श्रीमति मंजू चतुर्वेदी जी के देहावसान के पश्चात चतुर्वेदी परिवार ने नेत्रदान की सहमति प्रदान कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया । उनकी मृत्यु के बाद भी अब उनकी आंखें दुनिया देखती रहेगीं । उनके नेत्रदान से दो नेत्रहीनों के नेत्र प्रकाशित होंगे और उनके प्रिय जन उनकी स्मृति को अमरत्व प्रदान करेंगे ।
मोहल्ला किला निवासी श्रीमति मंजू चतुर्वेदी जी स्वयं समाज सेवा व धार्मिक कार्यों में संलग्न रहीं । यह सराहनीय कार्य भी उनके जीवन प्रवृत्ति के अनुरूप है । वह दिनांक 26 जनवरी को ब्रह्मलीन हो गईं ।
वसुधैव कुटुम्बकम के दायित्वधारियों व पंकज टंडन जी की देखरेख में सीएल गुप्ता मुरादाबाद आई / नेत्र विभाग की टीम ने कागजी औपचारिकता पूरी कर ब्राह्मलीन श्रीमति मंजू चतुर्वेदी जी के शरीर से दान की गई आंखे (कॉर्निया) प्राप्त कीं ।
वसुधैव कुटुम्बकम् के अध्यक्ष विकास जैन जी ने बताया कि नेत्रदान करने से किसी प्रकार का देह भंग नही होता । सनातनी समाज मे महर्षि दधीचि, महाराज शिबी, राजा बलि, कर्ण जैसे अनेकों उदाहरण है जिन्होंने समाज हित में अपना पूरा देह तक दान दे दिया। उन्होंने ये भी बताया कि नेत्रदान करवाने के लिए वसुधैब कुटुम्बकम् के नेत्रदान सहायता हेतु (24×7)
98370 80678 या 88990 45015 पर किसी भी समय संपर्क किया जा सकता है ।

वसुधैव कुटुम्बकम् के सचिव प्रियांशु बंसल जी ने बताया कि मातृ पितृ वंदन एवं श्री हनुमान चालीसा पाठ जैसे संस्कार के कार्यक़म एवम स्थायी स्वास्थ्य केंद्र व नेत्रदान जैसे सेवा के कार्यक्रमों को औऱ विस्तार दिया जाएगा । संस्था के संरक्षक योगेश जिंदल जी व संस्थापक सदस्य अजय अग्रवाल, आशीष गुप्ता, दीपक मित्तल, अनुज सिंघल, अंकुर मित्तल, सीए सचिन अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल, प्रांशु पैगिया ने वसुधैव कुटुंबकम् काशीपुर के तत्वाधान में सम्पन्न कराये इस महान कार्य के प्रति चतुर्वेदी परिवार का आभार व्यक्त किया एवम क्षेत्र वासियों से मरणोपरांत नेत्रदान कराने में सहयोग का आवाहन किया।

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