


रुद्रपुर। सृजन पुस्तकालय रुद्रपुर में ‘उत्तराखंड से लघुकथाएँ’ शीर्षक पुस्तक का विमोचन, लघुकथा वाचन एवं लघुकथा विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हिंदी लघुकथा के मर्मज्ञ डॉ. अशोक भाटिया ने लघुकथा की बारीकी समझाते हुए हुए कहा कि वर्तमान में लघुकथा में शब्द और संवेदना का बड़ा संकट है। जिस लघुकथा लेखक ने अपनी संवेदना का विस्तार किया, वही स्तरीय लघुकथा लिख सकता है। जीवन-समाज के हिस्से को देखकर ही रचनाएँ लिखी जाती है।


विशिष्ट अतिथि के रूप में कथाकार- शिक्षाविद और ‘शैक्षिक दखल’ के संपादक डॉ. दिनेश कर्नाटक ने कहा कि प्रेमचंद हमारे पुरखे हैं और वह हमें अपनी दृष्टि दे गए, अतः हमारे लेखन और लघुकथा में वह सोद्देश्य दृष्टि अवश्य हो। यदि ऐसा नहीं है तो हमारा लेखन सार्थक नहीं हो सकता।
विशिष्ट अतिथि कथाकार-आलोचक डॉ. शशांक शुक्ल ने कहा कि कोई चीज़ क्लिक करने पर यदि लघुकथा लिख दी जाए, तो वह लघुकथा नहीं कही जाएगी। लघुकथा विधा के लिए कोई भी आंदोलन विकसित न होने से लघुकथा को अधिक हानि हुई है। इस विधा पर बहुत दबाव है, अतः लघुकथा रचते वक्त यह आवश्यक है कि इसे रचने में समय दें, और इसके लिए निरंतर अध्ययन करते रहें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चर्चित कवि शैलेय ने कहा कि इस पुस्तक में उत्तराखंड की संस्कृति, सभ्यता और बोली दिखाई नहीं दी। तीन शब्द है क्या क्यों और कैसे? अतः किसी विषय पर लिखने के लिए विषय नहीं दृष्टि होनी चाहिए। रचना वही है जिसमें दायित्वबोध और रचाव हो। वर्ग विभाजित समाज में हमारा यही दायित्वबोध है।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में डॉ. जगदीश पंत ‘कुमुद’, ‘मेहनतकश’ पत्रिका के संपादक मुकुल, और कस्तूरीलाल तागरा ने लघुकथा के विभिन्न पक्षों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लघुकथा का वाचन किया। अतिथियों द्वारा ‘शैल सूत्र’ पत्रिका की संपादक आशा शैली का लघुकथा संग्रह ‘आरती के दिये’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर और युवा कवि डॉ. खेमकरण ‘सोमन’ ने किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सृजन पुस्तकालय रुद्रपुर द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। प्रमुख लघुकथा लेखिका उर्मिकृष्ण के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई।
इस अवसर पर संदीप सिंह, उषा टम्टा, अंज़ार खान, महेंद्र मौर्य, रूपेश कुमार, डॉ. रेशु पनेरु, सुशीला साहनी, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. कमल दीक्षा, शंकर चक्रवर्ती, डॉ. शबाहत हुसैन, मनोज कुनियाल, मनीषा कर्नाटक, भुवन अवस्थी, शालिनी सिंह, अनीता पंत, पलाश विश्वास, चंदन बंगारी, नाहिद रज़ा, गोपाल सिंह गौतम, गुरविंदर गिल, ललित मोहन जोशी, पहरू पत्रिका के संपादक डॉ. हयात सिंह रावत, डॉ. सुभाष वर्मा, सुमन व्यास, अर्जुन, सिमरन और नीरज आदि उपस्थित रहे।








