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सत्र 6: इस सत्र में उत्तराखंड पुलिस की ASP देहात देहरादून, जय बलोनी और बाल अधिकार संगठन उत्तराखंड की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने भाग लिया। डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि “परिवार अब बच्चों का केस दर्ज कराने के लिए आने लगे हैं और उनके बच्चे का समर्थन भी करने लगे हैं। पुलिस भी इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है। यदि हमें बच्चों को न्याय दिलाना है, तो सभी गेटकीपरों का सहयोग आवश्यक है।”

जय बलोनी ने कहा कि “कई बार सीधे माता-पिता केस दर्ज कराने नहीं आते, अस्पतालों के माध्यम से मामले आते हैं। दूरदराज क्षेत्रों में कानून की जानकारी कम है, हमें हर गांव में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। अब हम मंगल दल के साथ मिलकर बच्चों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह अपराध है।” उन्होंने यह भी कहा, “बच्चे मानसिक तनाव में रहते हैं यदि उन्हें न्याय नहीं मिलता है। POSCO अधिनियम में अब छेड़छाड़ को भी शामिल किया गया है। स्कूल रिपोर्टिंग की वजह से कई मामले बाहर नहीं आ पाते। हमें बच्चे के व्यवहार में बदलाव को पहचानने की जरूरत है, और इसे नोटिस करना महत्वपूर्ण है।”

“हर स्कूल में शिकायत समिति होनी चाहिए, और स्कूल में पुरुष और महिला शिक्षक दोनों का होना जरूरी है। कभी-कभी हम देखते हैं कि स्कूल ने शिक्षक को हटा दिया, लेकिन पुलिस को नहीं बताया। हम ऐसे मामलों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। POSCO के तहत ज्यादातर मामलों में रिश्तेदारों द्वारा अपराध होते हैं, और कभी-कभी समाज के विकृत रूप का सामना करना पड़ता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि “हमने पड़ोस के अंकल और आंटी के सीसीटीवी lost ker diye hain हैं, जो हमारी parenting me मदद करते थे after parents । अब हमें 1098 पर सूचित करने की जरूरत है, और CWC (बाल कल्याण समिति) तब तक अभिभावक का काम करती है जब तक परिवार से नहीं मिलता।”

पूर्व DGP अशोक कुमार ने कहा, “POSCO अधिनियम के आने से रिपोर्टिंग और कार्रवाई में वृद्धि हुई है। 1) POSCO के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशाला जरूरी है, ताकि हमें कानून का सही ज्ञान हो। 2) स्कूलों और संस्थानों को मामले की रिपोर्ट सच्चाई से करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि “POSCO के नाम पर ब्लैकमेलिंग भी होने लगी है, इस पर जांच अधिकारी को ध्यान रखना चाहिए। पुलिस को इन मामलों में सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।”

वेलहम स्कूल के प्रिंसिपल ने पूछा, “कैसे एक पीड़ित नाबालिग इस प्रकार के मामले का सामना करता है?” पूर्व DGP अशोक कुमार ने उत्तर दिया कि “यह एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, POSCO एक विशेष अधिनियम है और लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं, लेकिन अच्छे अधिकारी यह पहचान सकते हैं कि यह झूठा मामला है। पुलिस को इन मामलों में मामला दर्ज नहीं करना चाहिए अगर यह झूठा है।”

पूर्व DGP अलोक बी. लाल ने कहा, “POSCO अधिनियम में जांच अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण है।”

ASP देहरादून जय बलोनी ने दो उदाहरण दिए:

  1. “एक छोटी बच्ची ने अपनी माँ के पक्ष में अपने पिता पर झूठा आरोप लगाया। जांच के बाद पता चला कि यह मामला झूठा था।”
  2. “एक बच्ची ने पिता के दबाव में अपने नाना के खिलाफ मामला दर्ज कराया, लेकिन जांच में यह मामला भी झूठा निकला।”

जय बलोनी ने कहा, “ट्रॉमा ठीक होता है, जब अपराधी को सजा मिलती है, लेकिन झूठे मामलों में जांच अधिकारी को भी समर्थन की जरूरत होती है।”

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