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वक्ताओं ने गुरबाणी की कथा के अलावा गुरु अमर दास जी के450 वें ज्योति जोत समाए दिवस पर डाला उनके जीवन एवं शिक्षा- दीक्षा पर प्रकाश
गदरपुर । उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाब गंज‌ में अमावस्या के अवसर पर भारी गुरमत समागम आयोजित किए गये । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ के भोग के उपरांत हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह ने शब्द कीर्तन में ‘ भल्ले अमर दास गुण तेरे तेरी उपमा तोहे बन आवै ‘,गायन करने के साथ संगत को निहाल किया।कथावाचक भाई जसवीर सिंह द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब जी के परिचय तथा गुरु शबद की कथा के उपरांत संगत को गुरबाणी के आधार पर अपने जीवन को संवारने का आहवान किया गया ।‌ गुरदासपुर पंजाब से आए ढाढी जत्था भाई दलजीत सिंह द्वारा गुरु इतिहास एवं गुरु अमर दास जी के 450 वें ज्योति जोत समाए दिवस पर बोलते हुए कहा गुरु शाबान में सती प्रथा, पर्दा प्रथा एवं बाल विवाह का खंडन करते हुए स्त्री को पुरुष के बराबर दर्जा दिए जाने की पहल की। कविश्री जत्था भाई सतनाम सिंह शौंकी द्वारा गुरु अमरदास द्वारा गोइंदवाल नगर बसाए जाने तथा एक गरीब और अनाथ बालक भाई जेठा जी को गुरु रामदास जी के रूप में चौथे गुरु के रूप में गुरुगद्दी पर विराजमान करते हुए अपना दामाद भी बनाया का भावपूर्ण शब्दों में वर्णन किया वही कविश्री जाता देवेंद्र सिंह तक कथावाचक भाई हरभजन सिंह द्वारा भी हरिजात गायन किया गया। भाई करमजीत सिंह द्वारा कार्यक्रम संचालन करते हुए कहा गया कि आगामी 1 नवंबर को बंदी छोड़ दिवस दिवाली एवं अमावस पर्व मनाते हुए तीन दिवसीय भारी गुरमत समागम आयोजित किए जाएंगे । इस अवसर पर दूर दराज से आई हजारों की संख्या में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका तथा पवित्र सरोवर मैं स्नान करके गुरु का लंगर रूपी प्रसाद ग्रहण किया। कार सेवा के भाई गुरमीत सिंह द्वारा सभी संगत का धन्यवाद करते हुए गुरमत सिद्धांतों पर चलकर गुरु की कृपा के पात्र बनने का आहवान किया गया ।वक्ताओं ने गुरबाणी की कथा के अलावा गुरु अमर दास जी के450 वें ज्योति जोत समाए दिवस पर डाला उनके जीवन एवं शिक्षाओं पर प्रकाश
गदरपुर । उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाब गंज‌ में अमावस्या के अवसर पर भारी गुरमत समागम आयोजित किए गये । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ के भोग के उपरांत हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह ने शब्द कीर्तन में ‘ भल्ले अमर दास गुण तेरे तेरी उपमा तोहे बन आवै ‘,गायन करने के साथ संगत को निहाल किया।कथावाचक भाई जसवीर सिंह द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब जी के परिचय तथा गुरु शबद की कथा के उपरांत संगत को गुरबाणी के आधार पर अपने जीवन को संवारने का आहवान किया गया ।‌ गुरदासपुर पंजाब से आए ढाढी जत्था भाई दलजीत सिंह द्वारा गुरु इतिहास एवं गुरु अमर दास जी के 450 वें ज्योति जोत समाए दिवस पर बोलते हुए कहा गुरु शाबान में सती प्रथा, पर्दा प्रथा एवं बाल विवाह का खंडन करते हुए स्त्री को पुरुष के बराबर दर्जा दिए जाने की पहल की। कविश्री जत्था भाई सतनाम सिंह शौंकी द्वारा गुरु अमरदास द्वारा गोइंदवाल नगर बसाए जाने तथा एक गरीब और अनाथ बालक भाई जेठा जी को गुरु रामदास जी के रूप में चौथे गुरु के रूप में गुरुगद्दी पर विराजमान करते हुए अपना दामाद भी बनाया का भावपूर्ण शब्दों में वर्णन किया वही कविश्री जाता देवेंद्र सिंह तक कथावाचक भाई हरभजन सिंह द्वारा भी हरिजात गायन किया गया। भाई करमजीत सिंह द्वारा कार्यक्रम संचालन करते हुए कहा गया कि आगामी 1 नवंबर को बंदी छोड़ दिवस दिवाली एवं अमावस पर्व मनाते हुए तीन दिवसीय भारी गुरमत समागम आयोजित किए जाएंगे । इस अवसर पर दूर दराज से आई हजारों की संख्या में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका तथा पवित्र सरोवर मैं स्नान करके गुरु का लंगर रूपी प्रसाद ग्रहण किया। कार सेवा के भाई गुरमीत सिंह द्वारा सभी संगत का धन्यवाद करते हुए गुरमत सिद्धांतों पर चलकर गुरु की कृपा के पात्र बनने का आहवान किया गया।

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