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बाजपुर। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाजपुर में हिंदी विभाग एवं अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में प्रेमचंद जयंती एवं पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानी पंच परमेश्वर पर आधारित फिल्म दिखाई गई। फिल्म देखने के बाद छात्र-छात्राओं द्वारा कहानी के मुख्य पात्र जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की मित्रता, छोटी बात पर मनमुटाव शत्रुता पर चर्चा, और उत्तरादायी पद पर बैठने के बाद उनके न्यायिक रूप की भरपूर प्रशंसा की गई। छात्र-छात्राओं ने कहा कि न्याय के पद पर बैठने के बाद अंततः न्याय की ही बात होनी चाहिए।प्राचार्य प्रो. केके पांडे ने सोजे वतन के माध्यम से प्रेमचंद के क्रांतिकारी और देशभक्ति रूप को सामने रखते हुए कहा कि प्रेमचंद ने कठिन समाज को समझने के अपनी कहानियों में बहुत ही सरल भाषा का प्रयोग किया। यही कारण है कि दशकों बाद भी वे हम सबके बीच आज भी लोकप्रिय कथाकार के रूप में जीवित हैं। उन्होंने वास्तव में भारतीय समाज और विशेषकर ग्रामीण समाज को बहुत खूबसूरती के साथ रचा है, जो हमें सोचने के लिए विवश करता है।समाजशास्त्र के डॉ. अनिल कुमार सैनी ने प्रेमचंद को संवेदनाओं का कथाकार बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में परिवार नामक संस्था विघटन के दौर से गुजर रही है। ऐसे में प्रेमचंद की कहानियाँ कई प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाती है और जोड़ने का कार्य करती हैं।गणित विभाग के डॉ. सूरजपाल सिंह ने कहा कि साहित्य हमें जीना सिखाता है। उन्होंने प्रेमचंद की बड़े घर की बेटी, ईदगाह, पूस की रात, शतरंज, मंदिर मस्जिद और नमक का दारोगा आदि कहानियों का उदाहरण दिया।अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रो. विजय कुमार पांडेय ने प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डाला। वहीं अमित कुमार ने उनके कृतित्व के विषय में विस्तार से बताया और प्रेमचंद की कथाओं पर पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन कर प्रेमचंद और उनके विचारों को समझने का एक सृजनात्मक मार्ग अपनाया।इससे पूर्व हिंदी विभाग के डॉ. खेमकरण सोमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन किया। इस अवसर पर डॉ. संगीता, सिमरन, रिंकी, सिया, शालू यादव, ईशा, इशिका, मोहित, जसविंदर, वंदना, कविता, संगीता, उजमा खान, दिव्या, अंशिका, सोनम और मोहित आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. खेमकरण सोमन ने किया।

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