श्रीनगर गढ़वाल संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हैं,जिसके जीवन में कष्ट न आते हों। ऋषियों ने बताया हैं कि जिसने भी संसार में जन्म लिया है,उसके जीवन में कष्ट तो आएंगे। जैसे डिब्बी में रखा हुआ कपूर कम सुगंध फैलाता है,यदि उसे डिब्बे से निकल कर अग्नि दल दिया जाय तो वह पहले से भी अधिक सुगंध फैलाता है,इसी प्रकार से कोई व्यक्ति जीवन में आने वाले कष्टों को चुनौती के रूप में स्वीकार करता है,उन कष्टदायक परिस्थितियों से संघर्ष करता है,वह संघर्ष करते-करते अनेक परस्थितियों को जीत जाते हैं और स्वयं को पहले से अधिक मजबूत बनाकर समाज में एक ओरा बना सकते है,ऐसा ही व्यक्ति सज्जन और बुद्धिमान होता है। परंतु जो लोग सही ढंग से सोचना नहीं जानते,वे लोग जीवन की सच्चाई को इसलिए स्वीकार नहीं करते कि जीवन में दुःख तो आएंगे ही,ऐसे लोग जीवन जीवन में छोटी-छोटी समस्याएं पर घबरा जाते हैं और हिम्मत हर जाते हैं,इस तरह को लोगों के जीवन में कष्ट बढ़ते ही जाते हैं। कुछ लोग तो धीरे-तनाव बढ़ते-बढ़ते अपसाद के शिकार हो जाते है और अपनी मूर्खता या अज्ञानता के कारण अपने मूल्यवान जीवन को ही नष्ट कर बैठते हैं,ऐसे ही पढ़े लिखे लोग बुद्धिहीन,मूर्खों की श्रेणी में पहले नंबर पर आते हैं। तो सज्जनों बुद्धिजीवियों की तरह खुद को बनाए,विपरीत पस्थितियों में खुद सुदृढ़ बनाने,बनने के विषय में निरंतर प्रयास करे प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती,उठिए और जीवन को संघर्ष शील बनाए फिर देखिए अग्नि में जाकर जैसे कपूर जैसे भरपूर वातावरण को सुगंधित करता है,ठीक उसी प्रकार मेहनती,जुझारू व्यक्ति भी अपने जीवन में उदाहरण प्रस्तुत करता है,जिस कार्य से आपका जीवन धन्य हो जाय और दूसरों के लिए एक प्रेरणा का स्तंभ,स्रोत,सानिध्य बनाकर लोग प्रेरित हो ओर आप एक उदाहरण के प्रतीक बने और लोग उस में अपने कल्याण को देखें।