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मैं एक भारतीय नारी हूं
साड़ी ,सुहागन का श्रृंगार
सब करती हूं
क्षमा करना परंतु
मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं

व्रत उपवास कई तरह के
नियमित कर लेती हूं
सात्विक भोजन -अल्पाहार
का भी ध्यान रखती हूं
क्षमा करना परंतु
मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं

संध्या -सवेरे ईश्वर को याद करती हूं
नियमित दीपक लगाकर
हनुमान चालीसा का पाठ भी करती हूं
क्षमा करना परंतु
मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं

परिवार को प्रथम स्थान देती हूं
चरणों में ईश्वर के
परिवार के लिए ही सर्वप्रथम
आशीष मांगती हूं
क्षमा करना परंतु
मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं

सादा जीवन -उच्च विचार
और देशभक्ति के गुणों से परिपूर्ण हो
समाज हित में सदा तत्पर रहती हूं
क्षमा करना परंतु
मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं

हमारे भारत की परंपरा महान थी ,
महान है और महान रहेगी
सनातन का गौरव था ,गौरव है और गौरव रहेगा
पर मेरा मन
इस बात से दुखी हो उठता है
कोई व्रत पुरुषों के लिए
क्यों नहीं बना ?
प्रश्न ऐसा पूछ बैठता है .
क्या नारी जीवन का कोई मोल
नहीं ?
पति जरूरी है तो क्या पत्नी नहीं ?
उत्तर कहां से लाऊँ इन सबको ?
कैसे समझाऊं मैं खुद को ?
खोजबीन कर हार जाती हूँ .
क्षमा करना
इसलिए मैं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हूं .मंजुला श्रीवास्तव,नई दिल्ली

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