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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम-आईकेएस की ओर से फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम-एफडीपी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम-आईकेएस के प्रोफेसर चेयर एवम् देवी अहिल्या बाई कॉलेज, इंदौर के डॉ. अनुपम जैन बोले, भारतीय ज्ञान परंपरा-आईकेएस हमारी धरोहर है, जिसमें सभी विषयों की उत्पत्ति और ज्ञान का वर्णन है। आज सम्पूर्ण विश्व भारत के साहित्य एवं संस्कृति की बात करता है। ऐसे में बहुत आवश्यक है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संभालें। उस पर गर्व करें। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सरकार की कई योजनाएं भारतीय ज्ञान परंपरा में शोध करने के अवसर प्रदान कर रही है। डॉ. अनुपम तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम-आईकेएस की ओर से आयोजित फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम-एफडीपी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।टीएमयू के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने भारतीय ज्ञान परंपरा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, आज हमारे पास डिग्री बहुत हैं, पर ज्ञान का अभाव है। ऐसे में भारतीय ज्ञान परंपरा व्यक्ति के चहुंमुखी विकास पर बल देती है। डॉ. अग्रवाल ने आगामी सत्र में आयोजित की जाने वाली गतिविधियों से अवगत कराते हुए उनके सुझाव भी आमंत्रित किए। एफडीपी में कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल की डॉ. कंचन गुप्ता, श्री शिवम अग्रवाल, मिस ममता वर्मा, मिस प्राची सिंह, श्री योगेश सिंह, विधि विभाग की डॉ. सुचिता गुलियानी, फाइन आर्ट्स की डॉ. फराह अदीबा, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की डॉ. सुगंधा जैन, डॉ. धर्मेंद्र सिंह, सीसीएसआईटी के डॉ. ऋषि सक्सेना, डॉ. नरोत्तम चौहान, डॉ. कामेश कुमार, श्री हरित गौर, फिजियोथैरेपी की श्रीमती नीलम चौहान, श्री रंजीत तिवारी, टिमिंट से डॉ. अदिति सिंह, श्री मोहित कुमार, मेडिकल एवम् डेंटल से श्रीमती जूही यादव, डॉ. शैली सक्सेना, डॉ. शिप्रा, डॉ. अमित जोसफ, एग्रीकल्चर कॉलेज से डॉ. आशुतोष अवस्थी, डॉ. देवेंद्र सिंह एवम् डॉ. रेनू रानी, सेंटर फॉर आईकेएस से डॉ. अमीषा सिंह, ज्योति शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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