हरिद्वार -जूना अखाडा के परम् पूज्य मंहत माता श्री साक्षी गिरी महाराज जी ने कथा वाचकों की कथा मे बताये गए की नारी को वेद शास्त्र, पूजा करने के कठोर नियमों मे कथा का नियम अक्सर ना करने पर की शिक्षा देना गलत ठहराया तो जबकि माता सीता की गुरु विदुषी गार्गी थीं, जिनसे उन्हें वेद पुराणों का ज्ञान मिला। बचपन में शिव धनुष उठाने वाली सीता केवल वीर ही नहीं अपितु विद्वान भी थीं। प्राचीन भारत की सबसे ज्ञानी स्त्रियों में विदुषी मैत्रेयी का भी नाम शामिल है।वेदों में, गार्गी, मैत्रेयी, विश्वम्भरा, और अपाला, घोषा, लोपामुद्रा, सकता, और निवावरी जैसी कुछ महिला विद्वानों का उल्लेख किया गया है। मैत्रेयी एक दार्शनिक और विद्वान थीं, जो वैदिक काल में रहीं। उन्हें अपने समय की सबसे विद्वान महिलाओं में से एक माना जाता था तो आचार्य जी पहले पूर्ण तैयारी के साथ अध्ययन करो फिर समाज को ज्ञान प्रदान करो अगर माता शिक्षित होगी तो पुत्र भी शिक्षित होगा अगर माता सनातन धर्म के बारे में अध्ययन कर रही है वेद शास्त्रों का अध्ययन कर रही है तो मां अपने पुत्र को भी वैदिक परंपरा से जोड़कर के रखेगी इसलिए कभी भी हमारी माता का विरोध मत कीजिए हमारी माताएं हर कार्य करने में सक्षम है और स्वयं मां सरस्वती विद्या की देवी है तो इसलिए आप माता का विरोध नहीं कर सकते कि वह कथा नहीं कर सकते.









