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रूद्र्पुर- नगर की प्रमुख बस अड्डे वाली रामलीला में आज अयोध्या के दूत द्वारा भरत एवं शत्रुघन को उनकी ननिहाल से बुला लाने, अयोध्या में हर किसी को शोक संतप्त देखनें, माता कैकई द्वारा राजपाट मिलनें, पिता दशरथ की मृत्यु एवं राम को वनवास मिलनें की खबर से विचलित होकर माता कैकयी को बुरे वचन कहना, राम से मिलनें वनों को जाना, राम भरत मिलाप एवं खड़ाउं लेकर वापस अयोध्या को रवाना होनें के दृश्यों का सुंदर मंचन हुआ।

आज दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि क्षेत्र में अपने सरल सहज स्वभाव, धार्मिक एवं सामाजिक कार्याें के साथ ही रियल इस्टेट क्षेत्र में साफ सुथरी व अच्छी पहचान बनाने वाले गाबा परिवार नें किया।

श्री रामलीला कमेटी नें गाबा परिवार के श्री मोहन लाल गाबा, श्रीमति रमेश कान्ता, सुशील गाबा, शीतल गाबा, खुशी गाबा एवं आयुष्मान सुशील गाबा द्वारा सामाजिक एवं धार्मिक सस्थाओं को निरंतर सहयोग के लिये हार्दिक आभार व्यक्त करते हुये माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर एवं श्री राम दरबार जी की प्रतिमा देकर सम्मानित किया।

आज प्रथम दृश्य में अयोध्या का दूत भरत-शत्रुघन के ननिहाल पहुंचता है और उन्हें वापस अयोध्या लिवा लाता है। अयोध्या पहुंचकर भरत को हर तरफ गम के बादल छाये हुये मिलते हैं। वह माता कैकयी के पास पहुंचते हैं तो कैकयी उन्हें राजपाट मिलनें की बधाई देती है, लेकिन भरत पिता दशरथ से न मिल पानें के लिये आतुर हैं। भरत को राम भी महलों में दिखायी नहीं देते तो वह कैकयी से इसका कारण पूछतें हैं। कैकयी टालमटोल करती है, लेकिन भरत के जिद करनें पर वह बताती है कि उसनें राजा दशरथ से भरत के लिये राजपाट और राम के लिये वनबास मांगा है। इसी गम में राजा दशरथ स्वर्ग सिधार गये और राम वनों को चले गये।

भरत सिर पकड़ लेता है। भरत कैकई को एकटक निहारते रह गए, जैसे उनकी वाणी चली गई हो। कैकई ने प्रसन्न भाव से अपनी समूची योजना और महल में घटी घटनाओं को विस्तार से बताया। भरत कुछ नहीं बोल रहे थे, बस उनकी आंखें लगातार बरस रही थीं।

कैकई जब सब कह चुकीं तब भरत की तन्द्रा टूटी। कुछ पल तक माता का चेहरा निहारते रहने के बाद बोले- ‘रे नीच! अभागन! इतना बड़ा पाप करने के बाद भी जी रही है, तुझे अपने जीवन पर लज्जा नहीं आती? मुझ निर्दोष को समस्त संसार के लिए अछूत बना देने वाली दुष्टा! जी करता है तेरा गला दबा कर मार दूं तुम्हें’… रोते भरत के दोनों हाथ कैकई के गले तक पहुंचते, तब तक शत्रुघन ने उनके दोनों हाथों को थाम लिया।
भरत पिता का अंतिम संस्कार करके तीनों रानियों, मंत्रियों सेना एवं प्रजा के साथ वनों को दौड़ जाते हैं। जैसे ही चक्रवर्ती सेना और भरत को आते देखा। आग बबूला होकर राम के पास आते हैं और कहते हैं कि भरत बड़ी सेना के साथ हमारी ओर बढ़ रहा है। तभी राम मुस्कुराते हुए कहते हैं ठहर जाओ। अनुज यूंभरत को आने तो दो। भरत राम के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगते हैं। दोनों की आंखों से अश्रुओं की धारा बहनें लगती है। उसके बाद भरत पिता के बारे में राम से कहते हैं कि अब हमारे बीच पिता श्री नहीं रहे यह शब्द सुनकर श्री राम और सीता लक्ष्मण व्याकुल हो शोकाकुल हो जाते है।

राम को अपने साथ ले जाने के लिए भरत मिन्नतें करते हैं। मगर श्री राम कहते हैं कि पिता के दिए हुए वचन का मर्यादा नहीं टूटे। भरत ने श्री राम के चरण पादुका को अपने सर पर उठाकर आंखों में अश्रु के साथ वहां से विदा होते हैं।

आज की लीला में राम- मनोज अरोरा, भरत- पुलकित बांबा, लक्ष्मण- गौरव जग्गा, शत्रुघ्न. अवियुक्त छाबड़ा, सीताजी- दीपक अग्रवाल, गणेश भगवान- आशीष ग्रोवर आशू, भरत के मामाजी- अनिल तनेजा, सुमन्त- सचिन आनन्द, केकई- नरेश छाबड़ा, कैकई- सुमित आनन्द, सुमित्रा का किरदार हर्श नरूला नें निभाया। संचालन मंच सचिव विजय जग्गा एवं संदीप धीर नें किया।

इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के संरक्षक विधायक तिलक राज बेहड़, अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर सीए, समन्वयक नरेश षर्मा, विजय जग्गा, बंटी बांबा, पिंकू कपूर, राकेश सुखीजा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा, कर्मचन्द राजदेव, सुभाष खंडेलवाल, हरीश अरोरा, महावीर आजाद, अमित चावला , आशीष मिड्ढा, विजय विरमानी, मनोज गाबा, पुनीत छाबड़ा, बीना बेहड, नीलम अरोरा, कृतिका बांबा, साक्षी छाबड़ा, पूर्वा बेहड, रघुवीर अरोरा, संदीप धीर, मोहन लाल भुड्डी, प्रेम खुराना, संजीव आनन्द, गौरव तनेजा, आषीश ग्रोवर आशू, हरीश सुखीजा, मनोज मंुजाल, विशाल भुड्डी, राम कृश्ण कन्नौजिया, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू शर्मा, गौरव राज बेहड़, सौरभ राज बेहड़, राजकुमार कक्कड़, सचिन मंुजाल, सुभाष तनेजा, वैभव भुड्डी, दीपक अग्रवाल, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, रोहित खुराना, गोगी, सन्नी आहूजा, अमित वर्मा, कपिष सुखीजा, राजन राठौर, बिट्टू ग्रोवर, सनी आहूजा, सनी कोहली, लवी ग्रोवर, नोनी ग्रोवर, शिवांश कोहली, शौर्य अरोरा, आयुश धमीजा, नीतिश धीर, मोहन अरोरा, हर्ष अरोरा, रोनिक मुंजाल, गर्वित मुंजाल, केतन बांगा, जतिन सुखीजा, चिराग तनेजा, अभय भुड्डी, पुरूराज बेहड़, आशमन अरोरा, अभि चुघ, तन्मय आनन्द, आयुश्मान सुशील गाबा, रवि अरोरा, चिराग कालड़ा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, दिव्यांश गोयल, कनव गंभीर, आदि उपस्थित थे।

श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल नें अपने संबोधन में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मौके पर मुख्य रामलीला में श्री हनुमान जी का किरदार निभाने वाले गाबा परिवार के नौजवान रामभक्त सुशील गाबा द्वारा रूद्रपुर से अयोध्या धाम तक 475 किलोमीटर तक पैदल पदयात्रा करनें को रामभक्ति का एक ऐसा उदहारण बताया, जो रूद्रपुर के ईतिहास में हमेशा-हमेशाके लिये स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है।

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