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श्रीनगर गढ़वाल बरगद का पेड़ सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है,सनातन धर्म में बरगद के पेड़ को वटवृक्ष या अक्षयबट के नाम से भी जाना जाता है,सनातन धर्म के अनुसार बरगद के पेड़ की छाल में भगवान विष्णु,बरगद की जड़ों में भगवान ब्रह्मा और इसकी शाखाओं में भगवान शिव विराजमान होते हैं,इसलिए इसकी पूजा की जाती है। आज आपको ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी बरगद के विषय में जानकारी दे रहे हैं। बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है,सनातन परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है,अलग अलग देवों से अलग अलग वृक्ष उत्पन्न हुए,उस समय यक्षों के राजा मणिभद्र से वटवृक्ष उत्पन्न हुआ,ऐसा मानते हैं इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है,यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है,जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है,उसी प्रकार बरगद को शिव माना जाता है,यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है,इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं,यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है,अतः इसे “अक्षयवट” भी कहा जाता है। आखिर पूजा के दौरान बरगद के पेड़ पर क्यों बांधा जाता है कलावा,सनातन धर्म में देवी-देवता के साथ कुछ विशेष पेड़-पौधों की पूजा करने का महत्व है,शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवता का संबंध किसी न किसी पेड़-पौधों से होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार,बरगद के पेड़ में जगत के पालनहार विष्णु,भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का वास होता है,इसलिए इस पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सौभाग्य,आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा महिलाएं मनचाही मनोकामना मांगते हुए बरगद के पेड़ पर कलावा बांधती है। ऐसा करने से उनपर देवी-देवताओं की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके अलावा घर में सुख-शांति का आगमन होता है। बरगद से मिलते हैं ये लाभ मान्यता के अनुसार,बरगद के पेड़ पर कलावा बांधने से वैवाहिक जीवन में सैदव सुख-शांति बनी रहती है और पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता आती है। ऐसा कहा जाता है कि इस पेड़ पर कलावा बांधने से अकाल मृत्यु जैसे योग टलते हैं। सावित्री व्रत के दिन इस पेड़ की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। बरगद के पेड़ की पूजा से अखंड सौभाग्य,आरोग्य,और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है,वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं,मान्यता है कि बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने अपने पति के लिए नवजीवन मांगा था,बरगद के पेड़ को जीवन का वृक्ष भी कहा जाता है। बरगद के पेड़ के फल,फूल,तना और पत्तियों में औषधीय गुण पाए जाते हैं,बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधने से घाव जल्दी भर जाता है,बरगद का पेड़ ऑक्सीजन का खज़ाना भी माना जाता है,कई औषधीय गुणों से भरपूर बरगद का पेड़ हिंदू धर्म में पूजनीय है,वट वृक्ष के नाम से प्रचलित बरगद का पेड़ सनातन धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। इसके फल,फूल,तना से लेकर पत्तियां भी इस्तेमाल में लाई जाती है। हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है। 20 घंटे से ज्यादा देता है ऑक्सीजन बरगद का पेड़ ऑक्सीजन का खजाना माना जाता है। कई पेड़ ऐसे हैं जो बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। उन्हीं में से एक बरगद भी है,वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बरगद का पेड़ 1 दिन में लगभग 20 घंटे से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण कर सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर बरगद के पेड़ का सिर्फ धार्मिक ही नहीं है बल्कि आयुर्वेद में बहुत महत्व बताया गया है। इससे कई प्रकार की औषधियां प्राप्त की जा सकती हैं। अगर कोई घाव या खुली चोट है तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधने से घाव जल्दी ही भर जाता है। इसके अलावा बरगद के पेड़ के पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट-मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी/ज्योर्तिविद ग्राम कोठियाडा पो.ओ-बरसीर रुद्रप्रयाग श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान।

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