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पति की लंबी आयु और उत्तम वर के लिए महिलायें करती है हरितालिका व्रत

भारत तीज त्योहारों का देश है,जहां अनेक जाति और धर्म के लोग रहते है। जहां भिन्न- भिन्न जाति धर्म के लोग भिन्न-भिन्न त्योहारों को मनाते हैं। इन्हीं त्योहारों में एक त्योहार है तीज। तीज त्योहार उ.प्र. ,बिहार एवं नेपाल में साल में तीन बार मुख्य रुप से मनाया जाता है। हरियाली तीज,कजरी तीज एवं हरितालिका तीज। हरितालिका पर्व/तीज की शुरुआत हिमालय राज की कन्या पार्वती ने शुरु की थी। हिमालय राज ने अपनी पुत्री की शादी भगवान विष्णु से तय कर दिये लेकिन मन ही मन पार्वती अपना पति शिव को मान चुकी थी।यह बात पार्वती अपने पिता हिमालय राज से बता कर नारद जी के कहने पर जंगल में तप करने चली गई । कई बर्षों तक तप करने के बाद जब शिव प्रसनन नहीं हुए तब निर्जल रहकर पार्वती कठिन तप करना शुरु किया । इस तप से भगवान भोले प्रसन्न हो कर प्रकट हुए और वर मांगने को कहा जिस पर पार्वती ने उन्हें अपने वर के रुप में मांगा औऱ साथ ही साथ ये भी वर मांगा कि जो भी कुंवारी कन्या या नारी इस व्रत को करेगी उसे सुंदर औऱ उत्तम वर मिले और नारी के सुहाग की रक्षा आप करेंगे। यह दिन भद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में तृतीया के दिन हुआ इसलिए इसका नाम तीज यानी तीसरा पड़ा। चुकी इस व्रत में हिमालय राज से पार्वती बिछुड़ी (हिरण) औऱ शिव से मिलन(तालिका) हुआ इसलिए इस व्रत का नाम हरितालिका पड़ा। औऱ तभी से नारी औऱ कुवारी कन्यायें इस महाव्रत को करते आ रही है।
इस व्रत को विधि विधान से भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु औऱ सुख समृद्धि के लिए करती है वही अविवाहित कन्यायें मनचाहा वर पाने के लिए करती है। इस व्रत में आठों पहर पूजन का विधान है इसलिए इस व्रत के दौरान रात्रि जागरण करते हुए शिव-पार्वति का जाप या भजन करना चाहिए । इस पूजा के दौरान हरितालिका व्रत की कथा अवश्य सुने। यह विषेश फलदायी है। इस बार यह 06 सितंबर को रखा/ मनाया जायेगा।

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