दीपमाला करके गुरुद्वारा परिसर को सजा कर आयोजित किए समागम
गदरपुर । गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाब गंज में बंदी छोड़ दिवस के अवसर
पर भारी गुरमत समागम आयोजित किए गए , समागम का शुभारंभ श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के अखंड पाठ के भोग एवं सर्वत्र सुख-शांति की अरदास के उपरांत किया गया । ढाढ़ी भाई लखबीर सिंह कोमल ने कहा कि श्री गुरु हरगोबिंद साहिब को ग्वालियर मध्य प्रदेश के किले में तत्कालीन बादशाह जहांगीर के हुकुम से कैद किया गया था जहां उन्होंने कथा कीर्तन एवं अपने उपदेशों के माध्यम से सर्वत्र सुख शांति एवं सभी वर्गों को बिना भेदभाव के रहने का उपदेश दिया जहांगीर द्वारा उनके उपदेशों से दिशा निर्देश प्राप्त करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दि़या। गुरुजी ने अपनी रिहाई के साथ कैद किए गए कुमाऊं,गढवाल एवं अन्य क्षेत्रों के 52 राजाओं को भी रिहा करवाया वहां बंदी छोड़ गुरुद्वारा ग्वालियर में सुशोभित है, समागम के अवसर पर हजूरी रागी जत्था भाई हरजीत सिंह, कथावाचक भाई रतन सिंह तिकोनिया एवं भाई जसवीर सिंह,भाई धर्मवीर सिंह घरांगना जिला मानसा पंजाब वाले एवं उनके सहयोगी,ढाढ़ी जत्था भाई लखबीर सिंह कोमल श्री अमृतसर, कविशर लखबीर सिंह मस्त श्री अमृतसर, कविशर सतनाम सिंह शौकी यूपी सिख मिशन हापुड़ ,कवि करमजीत सिंह नूर जालंधर, कवि बलबीर सिंह कमल होशियारपुर, कवि कुलवंत सिंह रफीक शाहाबाद, कवित्री सरबजीत कौर अलखदेवा,उत्तराखंड द्वारा हरिजस गायन करके गुरु इतिहास, गुरु मर्यादा, गुरु सिद्धांत की जानकारी प्रदान की । गुरु का लंगर अटूट बांटा गया । मुख्य सेवादार बाबा अनूप सिंह ने बताया कि दूर दराज से आने वाले सैकड़ो दुकानदारों द्वारा मेले के रूप में अपनी दुकानें सजाई गई वहीं सरोवर में स्नान करके लोगों द्वारा सर्व समानता को दर्शाया गया । ज्ञात हो कि भारत पाक बंटवारे के उपरांत क्षेत्र में पहुंचकर बुजुर्गो द्वारा ऐतिहासिक प्रमाणो के आधार पर श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी का आगमन एवं इस स्थान पर उनके द्वारा कुछ समय विश्राम किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई । वहीं खुदाई में ऐतिहासिक वस्तुएं भी प्राप्त हुई । बाबा अर्जुन सिंह और संगत के सहयोग से लगभग छह दशक पूर्व गुरुद्वारा साहिब जी स्थापना की गई । गुरुद्वारा पदाधिकारियों एवं संगत की सहमति से गुरुद्वारा साहिब का प्रबंध कार सेवा के माध्यम से करवाए जाने का निर्णय लिया गया जिस पर वर्तमान में अब बाबा अनूप सिंह के नेतृत्व में सेवा की जा रही है वही संगत द्वारा सहयोग देते हुए मीरी पीरी खालसा अकेडमी रतनपुरा की भी स्थापना की गई जिसमें शिक्षण रत सैकड़ो बच्चो द्वारा विभिन्न खेलो एवं अन्य विषयों पर आधारित प्रतियोगिताओं में शामिल होकर सैकड़ों पदक एवं अन्य पुरस्कार प्राप्त करके एकेडमी और क्षेत्र का नाम रोशन किया । बाबा अनूप सिंह द्वारा संगत का धन्यवाद करते हुए कहा कि मीरी पीरी खालसा अकादमी रतनपुरा में शिक्षण कार्यों के साथ गुरमुखी भाषा मार्शल आर्ट, खेलकूद एवं धार्मिक शिक्षा भी प्रदान की जाती है उन्होंने सभी क्षेत्र वासियों से अपने बच्चों को मीरी पीरी खालसा अकेडमी रतनपुरा में शिक्षा के लिए भेजने का आहवान किया ।













