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नारी हूँ आज की

राम राम लिखती हूं
राम राम कहती हूं
तो रावण को भी मार सकती हूं
नारी हूं मैं आज की
सीने में दुश्मन के
गोली भी उतार सकती हूं

ना देखो बुरी नजर से
रहो तुम अपनी हद में
हो यदि जरूरी तो
आंखें भी उतार सकती हूं
नारी हूं मैं आज की
सीने में दुश्मन के
खंजर भी उतार सकती हूं

उठे जो हाथ तुम्हारे
रोकने का दम रखती हूं
गलतफहमी में ना रहना
बाजू भी उखाड़ सकती हूं
नारी हूं मैं आज की
सीने में दुश्मन के
खंजर भी उतार सकती हूं

चुप हूँ तो चुप रहने दो
सह रही हूं तो कद्र करो
परिवार संजो रही हूं
रिश्ते निभा रही हूं
बाँध सब्र का टूटा तो
प्रलय भी ला सकती हूं
नारी हूं मैं आज की
सीने में खंजर भी उतार सकती हूँ

  • मंजुला श्रीवास्तव, नई दिल्ली .
    CEO of TINRAD ( Tulsi Immuno Nano Research and Development)

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