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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में आन, बान और शान से हुआ ध्वजारोहण, भारत माता, वंदे मातरम् सरीखे जयकारों से गूंजा यूनिवर्सिटी का कैंपस

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बावजूद 75वां गणतंत्र दिवस बडे़ ही आन, बान और शान से मनाया गया। इस सुअवसर पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने कहा, विकासशील देश की सोच से बाहर आकर अब हमें विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए। इसके क्रियान्वयन को उन्होंने युवाओं को जीवन में हौसला, हिम्मत, ताकत, अनुशासन और ईमानदारी को अपनाने का मूल मंत्र दिया। इस संदर्भ में उन्होंने अमेरिका के पासपोर्ट से लेकर रामायण और गीता सरीखे धार्मिक ग्रंथों का उदाहरण दिया। कुलाधिपति श्री जैन कैंपस में आयोजित ध्वजारोहण के बाद छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने स्टुडेंट्स और फैकल्टीज़ से अयोध्या धाम की मंगलयात्रा के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने प्रभु श्रीराम के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को अविस्मरणीय बताया। इस मौके पर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, जबकि मदन स्वरूप इंटर कॉलेज में श्रीमती जान्हवी जैन की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही। कुलाधिपति और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर केे झंडारोहण करते ही पुष्पवर्षा के बीच राष्ट्रगान में सभी शामिल हो गए। भारत माता की जय…., वंदेमातरम्… सरीखे नारों से टीएमयू कैंपस गूंजा उठा। इससे पूर्व प्रो. हरबंश दीक्षित ने कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जबकि प्रो. एमपी सिंह ने एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन को बैज लगाया। यूनिवर्सिटी की सिक्योरिटी की ओर से तिरंगे को सलामी भी दी गई। संचालन डॉ. माधव शर्मा ने किया। समारोह में प्रो. हरबंश दीक्षित, प्रो. आरएन कृष्णिया और प्रो. आरके द्विवेदी ने भी गणतंत्र दिवस के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। दूसरी ओर हरियाना के मदन स्वरूप इंटर कॉलेज में गणतंत्र दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। ध्वजारोहण के बाद कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और श्रीमती जान्हवी जैन ने छात्र-छात्राओं को मिष्ठान वितरित किया। इससे पूर्व स्व. श्री प्रेम प्रकाश जैन की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया। इस मौके पर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जैन भी मौजूद रहे।श्री जैन अपने सारगर्भित संबोधन में बोले, हम धीरे-धीरे चीजों को सीखते हैं, लेकिन कभी-कभी तब तक बहुत देर हो जाती है। चाहें जीवन में अनुशासन हो या घर और शहर की सफाई का सवाल। किसी की भी तरक्की को देखकर हम प्रायः कह देते हैं, अपना-अपना नसीब है। उन्होंने बिजनेस से लेकर मुनाफे, ईमानदारी, नौकरी, घर, समाज के नियमों को कोट करते हुए कहा, आप समाज से सब कुछ प्राप्ति की अपेक्षा करें, लेकिन बदले में कुछ न दें, यह नहीं चलेगा। जीवन में हमारा जो भी पेशा है, उसके प्रति ईमानदारी और भरोसा पहली शर्त है। उन्होंने पश्चिमी देशों में अप्रवासी भारतीयों को कोट करते हुए कहा, अपनी सेल्फ ईमेज खुद बनानी पड़ती है। उन्होंने कहा, अमेरिकी पासपोर्ट के साथ 99 फीसदी देशों में वीजा लगाने की दरकार नहीं होती है, क्योंकि यह अमेरिका की मजबूती है। हमें भइया वाली धारणा को बदलना होगा। भारतीयों में असंभव को संभव बनाने का बूता है। उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों की चर्चा करते हुए कहा, मॉरीशस हो या फिजी, गुयाना हो या दक्षिण अफ्रीका या सूरीनाम, बहुतेरे देशों में गिरमिटिया की पीढ़ी ही शासन में है। कुलाधिपति ने इजराइल के विकास और हौसले का भी जिक्र किया। बोले, संख्या कोई मायने नहीं रखती है। हिम्मत और हौसला जरूरी है। जज्बा अनिवार्य है। टीएमयू कैंपस के अलावा टिमिट, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस के संग-संग फैकल्टी ऑफ एजुकेशन भी ध्वजारोहण कार्यक्रम हुए।

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