
वक्ताओं ने गुरु अर्जन देव जी की शहीदी तथा अन्य शहीदों के जीवन पर डाला प्रकाश


गदरपुर । उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाब गंज में मई महीने की अमावस्या के अवसर
पर गुरमत समागम आयोजित किए गये । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ के भोग के उपरांत हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह, रुद्रपुर के भाई गुरजीत सिंह एवं रागी गुरदयाल सिंह दिनेशपुर के जत्थे द्वारा कीर्तन के साथ संगत को निहाल किया गया।कथावाचक भाई जसवीर सिंह द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब जी के परिचय तथा गुरु शबद की कथा के उपरांत संगत को गुरबाणी के आधार पर अपने जीवन को संवारने का आहवान किया गया । ढाढी जत्था भाई गुरमीत सिंह रेहड़ बिजनौर वालों द्वारा गुरु हरगोबिंद जी के जीवन काल में हुए धर्म युद्धों का विस्तार से वर्णन किया गया । कविश्री जत्था भाई प्रवीण सिंह अंबाला द्वारा शहीदी इतिहास श्रवण कराकर संगत को धर्म एवं इतिहास के प्रति जागरूक किया।कविश्री जत्था बलविंदर सिंह पैगिया काशीपुर द्वारा बताया गया कि खालसा राज के दौरान सिख फौज के सहयोग से अफगानिस्तान,पाकिस्तान,जम्मू कश्मीर, पंजाब,लेह ,लद्दाख एवं चीन तक खालसा राज की सीमा का विस्तार हुआ था और महान योद्धाओं ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर के खालसा राज की स्थापना मैं महान योगदान दिया । कविश्री बलविंदर सिंह बेरिया द्वारा श्री गुरु अर्जन देव जी की शहादत का वर्णन करते हुए संगत को देश, समाज,धर्म एवं अपनी संस्कृति की रक्षा करने के लिए सभी को एकजुट होने की अपील की । इस अवसर पर कविश्री भाई सतनाम सिंह शौंकी द्वारा शहीदी इतिहास सुनाकर शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की गई, कथावाचक भाई नरेंद्र सिंह द्वारा गुरमत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला गया । कार्यक्रम संचालक भाई करमजीत सिंह द्वारा सभी संगत का धन्यवाद करते हुए गुरमत सिद्धांतों पर चलकर गुरु की कृपा के पात्र बनने का आहवान किया। इस अवसर पर दूर दराज से आई हजारों की संख्या में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका तथा पवित्र सरोवर में स्नान करके गुरु का लंगर रूपी प्रसाद ग्रहण किया ।












