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गदरपुर । निर्माणाधीन भवन का लिंडर गिरने से लगभग आधा दर्जन मजदूरों के मलबे में दबने से चीख पुकार मच गई जिस पर आसपास के लोगों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें मलबे से निकाला और गंभीर अवस्था में तीन श्रमिकों को रुद्रपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जबकि समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गदरपुर में प्राथमिक उपचार के बाद हालत में सुधार होने पर दो श्रमिकों को घर भेज दिया गया प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम रतनपुरा के आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर के पास एक नए अस्पताल का भवन निर्माण किया जा रहा है मंगलवार प्रातः लगभग एक दर्जन श्रमिकों के साथ लिंटर डाला जा रहा था। सायं कल करीब तीन बजे अचानक लिंटर भरभरा कर गिर गया, 5 मजदूर मलबे में दब गए जिस पर मजदूरों की चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और मलबे से श्रमिकों को बाहर निकाला। घायल रतनपुरा निवासी छोटू विश्वास, विजय और विश्वजीत की हालत गंभीर देखते हुए रुद्रपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गदरपुर में प्राथमिक उपचार के बाद गोपाल और राजू को छुट्टी दे दी गई। बताया जा रहा है कि निर्माणाधीन भवन आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर संचालक , केंद्र के पास अस्पताल का निर्माण करवा रहे हैं जिसका ठेका दिया गया है। आयुर्वेद रिसर्च सेंटर के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया, वही राजमिस्त्री के के मुताबिक कालम के नाम होने से हादसा हुआ है निर्माणाधीन अस्पताल पर 25 फीट ऊंचाई पर लिंटर डाला जा रहा था, अधिक दबाव पड़ने की वजह से लिंटर का कालम टूट गया जिससे पूरा लेटर नीचे आ गिरा। इस दौरान शटरिंग वाले मजदूर नीचे दब गए राजमिस्त्री का कहना था कि कालम ना होने की वजह से यह हादसा हुआ ।तराई क्षेत्र कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ रहे अस्पताल माफिया के चंगुल में फंसकर लोग अपना शरीर और धन का नुकसान करवा रहे हैं वही तराई क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में खुले अस्पताल लोगों की मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर रहे हैं।ऐसे अस्पताल संचालकों पर प्रशासन का कोई खौफ नहीं है जिन पर छापामारी करके बंद करवाया जाता है ले देकर मामला रफा दफा करके अस्पताल दोबारा खुलकर मरीज के जीवन के साथ खिलवाड़ और धन लूटने में लग जाते हैं शायद जिनका हिस्सा अधिकारियों तक पहुंच जाता है जिससे इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती गदरपुर क्षेत्र में भी कई झोलाछाप और फर्जी चिकित्सालय पर कार्रवाई की गई परंतु ले देकर मामला रफा दफा हो गया और दोबारा वह फिर अपने काम में लग चुके हैं ऐसे चिकित्सकों और अस्पतालों पर प्रशासन की कोई नकेल नहीं है। कुल मिलाकर खाने आज तो आम जनता को ही भुगतना पड़ रहा है।

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