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डॉ. दीपक ढल, विकास वैभव (IPS) व 1008 महामंडलेश्वर श्री आदियोगी पुरी जी महाराज के संयुक्त नेतृत्व में ऐतिहासिक पह

काशीपुर/बिहार।
बिहार की पावन धरती पर आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत ‘मिशन देवालय’ का शुभारंभ किया गया। इस अभियान की शुरुआत प्रख्यात क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं सामाजिक सुधारक डॉ. दीपक धल्ल, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतक श्री विकास वैभव, तथा 1008 महामंडलेश्वर श्री आदियोगी पुरी जी महाराज के संयुक्त सान्निध्य एवं मार्गदर्शन में हुई।

मिशन देवालय के अंतर्गत बिहार यात्रा का शुभारंभ विशेष रूप से कैमूर–रोहतास–सासाराम क्षेत्र से किया गया है, जिसे धार्मिक एवं प्राकृतिक दृष्टि से “बिहार का हिमालय” कहा जाता है। यह क्षेत्र 7100 से अधिक प्राचीन शिवालयों, अनेक जलप्रपातों, गुफाओं एवं शक्तिपीठों से समृद्ध है, जो भारत की प्राचीन शिव-शक्ति परंपरा के सशक्त प्रमाण माने जाते हैं।

इस अंचल में गुप्तेश्वर धाम, धुआँ कुंड, मुंडेश्वरी देवी मंदिर (भारत का प्राचीनतम सतत क्रियाशील मंदिर), ताराचंडी माता एवं तुतला भवानी जैसे पवित्र स्थल स्थित हैं। शास्त्रीय एवं लोक मान्यताओं के अनुसार, यह क्षेत्र शिव-चेतना का एक गुप्त केंद्र है, जहाँ रावण द्वारा पूजित महादेव से जुड़ी स्मृतियाँ आज भी प्रकृति में विद्यमान हैं।

धार्मिक ग्रंथों शिवपुराण, स्कंदपुराण एवं ऋग्वेद में वर्णित है कि जहाँ-जहाँ भगवान शिव स्थित हैं, वही शिव-लोक है। इसी दृष्टि से कैमूर क्षेत्र को केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि एक जीवंत देव-स्थापत्य एवं आध्यात्मिक चेतना-भूमि के रूप में देखा जाता है।

मिशन देवालय के उद्देश्य

मिशन देवालय का प्रमुख उद्देश्य उपेक्षित एवं क्षतिग्रस्त प्राचीन मंदिरों का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन, विस्मृत आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों का पुनर्जागरण, आध्यात्मिक पर्यटन के माध्यम से स्थानीय आजीविका का संवर्धन, युवाओं को भारतीय सभ्यता से जोड़ना तथा सामाजिक, मानसिक एवं सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में योगदान देना है।

इस अवसर पर डॉ. दीपक ढल ने कहा कि “मिशन देवालय केवल मंदिरों के पुनर्स्थापन का अभियान नहीं, बल्कि खंडित चेतना और विस्मृत परंपराओं के पुनर्जागरण का प्रयास है।”
वहीं श्री विकास वैभव (IPS) ने इसे “संस्कृति, अनुशासन और राष्ट्रनिर्माण के बीच एक सशक्त सेतु” बताया।
1008 महामंडलेश्वर श्री आदियोगी पुरी जी महाराज ने कहा कि “जहाँ शिव की स्मृति जीवित रहती है, वहीं भारत की आत्मा सुरक्षित रहती है।”

शिव-कॉरिडोर की मांग

इस अवसर पर केंद्र सरकार से कैमूर–रोहतास क्षेत्र में ‘शिव-कॉरिडोर’ की स्थापना की मांग भी की गई, ताकि इस प्राचीन शिव-लोक को राष्ट्रीय एवं वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर उचित स्थान मिल सके।

यह पहल केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पुनर्निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है। बिहार की यह पावन भूमि एक बार फिर यह संदेश दे रही है कि भारत की आध्यात्मिक चेतना आज भी जीवंत है और यहीं से विश्वगुरु भारत की नव-उषा का पुनः आरंभ संभव है।


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