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वसुधैब कुटुम्बकम् काशीपुर के तत्वाधान में 33वां नेत्रदान

दिनांक 15 दिसंबर को श्री ऋषिकांत अग्रवाल के देहावसान के पश्चात उनकी पत्नी श्री मति क्षमा अग्रवाल, सुपुत्र श्री अनुराग अग्रवाल एवम पराग अग्रवाल जी ने नेत्रदान की सहमति प्रदान कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

श्री ऋषिकांत अग्रवाल जी की आंखें अब दो व्यक्तियों के जीवन में नई रोशनी बनकर उजाला फैलाएंगी।
अग्रवाल परिवार के स्वयं अनुरोध पर वसुधैव कुटुंबकम् काशीपुर के देखरेख में श्री ऋषिकांत जी का नेत्रदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जो अग्रवाल परिवार के महान व्यक्तित्व का अद्भुत प्रतीक है।

वसुधैव कुटुम्बकम् काशीपुर के सचिव प्रियांशु बंसल ने बताया कि सनातन समाज में महर्षि दधीचि, राजा शिवि जैसे महान दानी हुए जिन्होंने जनहित में अपनो अंगों का दान किया। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग सोचते हैं कि नेत्रदान के दौरान पूरी आंख निकाल दी जाती है, जिससे आंख का सॉकेट खाली रहता है, जो सच नहीं है। सामान्यतः केवल कॉर्निया जो आंख की सबसे बाहरी परत होती है, जो आसानी से निकाली जाती है व नेत्रदान करने से किसी प्रकार का देह भंग नही होता है।कोषाध्यक्ष सौरभ अग्रवाल ने बताया कि नेत्रदान करवाने के लिए वसुधैब कुटुम्बकम् के नेत्रदान सहायता हेतु (24×7)
98370 80678 या 9548799947 पर किसी भी समय संपर्क किया जा सकता है। वसुधैव कुटुंबकम् काशीपुर के तत्वाधान में सम्पन्न इस महान कार्य के प्रति उपस्थित सचिव प्रियांशु बंसल, संस्थापक सदस्य व नेत्रदान प्रकल्प संयोजक सीए सचिन अग्रवाल ने परिवार का आभार व्यक्त किया और परम पिता परमेश्वर से दिवंगत आत्मा की चिर शांति की प्रार्थना की तथा क्षेत्र वासियों से मरणोपरांत नेत्रदान कराने में सहयोग का आह्वान किया।अग्रवाल परिवार द्वारा किये गये नेत्रदान मे मुरादाबाद से समाजसेवी श्री हिमांशु अग्रवाल जी का विशेष सहयोग रहा।

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