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लाल बिहारी गुप्ता लाल
बिना गुरु ज्ञान जग में, पा ना पाया कोय।
गुरु का जो मान रखा, जग बैरी न होय।1।
गुरु को गुरु की तरह, माने आज इंसान।
उसका मान जग करे, हरि करे कल्याण।2।
गुरु ज्ञान की खान है, ले लो जितनी चाह।
भला करे बस हर घड़ी, लाल खुलेगा राह।3।
गुरु बिना जग में कुछ भी,पाना नहीं असान।
गुरु की कृपा हो जिस पर, उसका हो कल्याण।4।
पहला गुरु मां जगत में, दूजा गुरु दे ज्ञान।
दंभ हर रहित कर दे, मानव बने महान।5।

संपादक – साहित्य टी.वी,नई दिल्ली

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