बगड़ीहाट (अस्कोट), पिथौरागढ़
नदियां लबालब बह रही हैं, लेकिन गांव की प्यास नहीं बुझ रही। बगड़ीहाट गांव से महज 500 मीटर नीचे काली और गोरी जैसी बड़ी नदियां बहती हैं, फिर भी यहां के ग्रामीणों को पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि बरसात का पानी ही अब ग्रामीणों की जीवनरेखा बन गया है।

गांव के नल सूखे पड़े हैं, टैंकों में पानी नहीं, और लोगों को कई किलोमीटर दूर जंगलों के प्राकृतिक स्रोतों से पानी ढोना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है—
“जब हम चाँद पर जाने की बातें करते हैं, तब भी हमें पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।”
गर्मी और बरसात के इस मौसम में पानी की यह समस्या ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। बार-बार शिकायतों के बावजूद विभागीय लापरवाही से हालात जस के तस हैं।
एक महिला ने बताया—
“पीने के लिए पानी जुटाना ही मुश्किल हो गया है, मवेशियों को क्या दें?”
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल जलापूर्ति बहाल करने और स्थायी समाधान की मांग की है।
इस संबंध में जब अस्कोट इकाई के अपर अभियंता के.के. भट्ट से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया—
“फिलहाल लखनपुर लाइन सुचारु होने में समय लगेगा। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में 300 मीटर एल्काथीन पाइप के जरिए स्वजल कनेक्शन जोड़ा जा रहा है। जल्द ही ग्रामीणों को पानी की समस्या से राहत मिलेगी।”






