रक्षाबंधन सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट बंधन, विश्वास और स्नेह का प्रतीक है। यह वह दिन है, जब एक साधारण-सी रेशम की डोरी, रिश्तों के सबसे मजबूत बंधन में बदल जाती है।

गाँव हो या शहर, पहाड़ की शांत वादियों से लेकर शहर की भागदौड़ भरी गलियों तक, रक्षाबंधन का उत्साह हर घर में समान रूप से महसूस होता है। सुबह-सुबह बहनें थाल सजाती हैं, उसमें रोली, चावल और मिठाई के साथ अपना स्नेह भी सजाकर रख देती हैं। भाई, इस डोरी को अपनी कलाई पर बांधकर, जीवन भर रक्षा का वचन देता है।
आज के बदलते समय में, जब रिश्तों की परिभाषाएं बदल रही हैं, रक्षाबंधन हमें यह याद दिलाता है कि सच्चे रिश्ते किसी स्वार्थ से नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और भरोसे से बनते हैं।
यह पर्व केवल जन्म से जुड़े भाई-बहनों तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस रिश्ते में मनाया जा सकता है, जहाँ विश्वास और अपनापन हो।
गाँव हो या शहर, यह परंपरा आज भी बड़े उत्साह से निभाई जाती है। बहनें चाहे कितनी भी दूर क्यों न हों, इस दिन अपने भाइयों तक राखी जरूर पहुँचाती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहनों के लिए उपहार नहीं, बल्कि जीवनभर साथ निभाने का भरोसा भेजते हैं।
रक्षाबंधन हमें यह सिखाता है—
“रिश्ते खून से नहीं, विश्वास से बनते हैं और प्रेम से निभते हैं।”
खबर पड़ताल टीम की ओर से आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।









