यू तो इस संसार में जन्म लेने के बाद मनुष्य अनेक रिश्तों की डोर में बंधता है परन्तु भाई बहन के पवित्र रिश्ते की बात अनमोल है किसी रिश्ते से इसकी तुलना नहीं की जा सकती। यह अतुलनीय है। रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार श्रावण मास की पुर्णिमा को बड़ी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन बहनें बाजार से सुंदर सी राखी खरीद कर अपने भाईयो को तिलक कर व आरती उतार भाईयों की कलाई पर रक्षा सुत्र से सजाती है व उनकी लम्बी उम्र की कामना करती है व अपनी रक्षा का वचन लेती है व भाईयों से उपहार स्वरूप कुछ न कुछ भेंट अवश्य पाती है यह त्यौहार समाज मे भाई-बहन के प्यार व संबधो को मजबूती व गति प्रदान करता है पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली में चोट लग गयी व रक्त बहने लगा यह देख द्रोपदी कृष्णा जो कृष्ण की प्रिय मित्रवत सखी थी उनसे तुरन्त अपने आंचल का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली से कसकर बांध दिया श्रीकृष्ण को काफी राहत मिली मान्यताओं के अनुसार इसी दिन रक्षाबंधन बांधने की परम्परा शुरू हुई जब द्रोपदी का भरी सभा में चीर हरण होने लगा द्रौपदी सब तरफ से नाउम्मीद हो दोनो हाथ जोड़ ऊपर कर श्रीकृष्ण को पुकारने लगी तब श्रीकृष्ण ने जब द्रौपदी की आतुर पुकार को सुना तो तुरन्त द्रोपदी का चीर बढ़ाकर उसकी लाज रखी व द्रौपदी के बंधन की लाज रखी भारतीय फिल्मो गीतो व लोकगीतों में भी भाव-स्पर्शी इस त्यौहार के गीतों को बढ़-चढ़कर फिल्माया व गाया गया है जैसे–रंग बिरंगी राखी लेकर आई बहना राखी बंध वाले मेरे वीर ,–बहना ने भाई की कलाई में प्यार बांधा है प्यार के दो तार से संसार बांधा है—,के राखी बंधन है ऐसा,–हम बहनों के लिए मेरे भैया आता है एक दिन साल में जैसे गीत मर्म व हृदयस्पर्शी है जो फिज़ाओं में गुंजते है जो बहनों की कोमल हृदय की भावनाओं को दर्शाते व व्यक्त करते हैं भाई-बहनों को इस त्यौहार को प्रेम व श्रद्धा पूर्वक मनाना चाहिए तभी इसे इसे मनाने की सार्थकता है।







