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उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने देहरादून में एक एविएशन कम्पनी के तीन हैलीकाप्टरों को अपने बताकर किसी तीसरे व्यक्ति को छः माह के लिए दो करोड़ रुपये में लीज देने संबंधी मामले में सुनवाई की। न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने आरोपियों को निर्देश दिए हैं कि वे विपक्षियों को साढ़े नौ लाख रुपये 23 मई से पहले अदा करें। मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय ने 23 मई की तिथि तय की है।
आपको बता दें कि कोतवाली देहरादून में पीड़ित पक्ष की तरफ से एक शिकायत दर्ज कर कहा गया कि अभय कुमार, धीरेन्द्र सिंह और चंद्रलेखा सिंह ने हैलीपैड स्थित तीन हैलीकॉप्टरों को अपना बताकर उन्हें छः माह के लिए 2 करोड़ रुपये की लीज पर दे दिया। इसका भुगतान उनके द्वारा चैक से किया गया।
जब इसका पता कम्पनी के असली मालिक को चला तो कम्पनी ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर कहा कि ये उनके हैलिकॉप्टर हैं और कम्पनी ने इन्हें किसी को लीज पर नहीं दिया है। इसलिए इसपर कम्पनी के अलावा किसी और का हक नहीं है। जब मुकदमे में जांच हुई तो पता चला कि आरोपियो का यह एक ठगी का व्यवसाय है।इससे पहले भी जब उच्च न्यायलय में फर्जी शिक्षक का मुकदमा चल रहा था तब भी उन्हें पक्का करने के लिए 56 लाख रुपये ले लिए थे। उनसे भी कहा था कि सचिव शिक्षा व अन्य अधिकारी उनके करीबी हैं। उन्होंने अपनी पत्नी की भी इसी तरीके से सरकारी टीचर बनाया है। यही नही उनके द्वारा एम्स के एच.ओ.डी.डॉक्टर को भी नेशनल फार्मेशी में फर्जी निदेशक बनाये जाने का सर्टिफिकेट दिया गया।जब इन मामलों की शिकायत दर्ज हुई तो सभी फर्जी पाए गए। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए इनके द्वारा उच्च न्यायलय में अंतरिम जमानत हेतु प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसपर न्यायालय ने किसी को कोई राहत नहीं देते हुए कहा कि पहले विपक्षी को साढ़े नौ लाख की रकम अगली सुनवाई से पहले वापस करें।

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