जिला पंचायत सभागार, चम्पावत में आयोजित बैठक में 6वें राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन. रवि शंकर की अध्यक्षता तथा सदस्यों पी.एस. जंगपांगी और एम.सी. जोशी की उपस्थिति में जनपद के जनप्रतिनिधियों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों की विशेष परिस्थितियों, विकास संबंधी समस्याओं, वित्तीय जरूरतों और भावी योजनाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए।
प्रतिनिधियों ने बताया कि मैदानों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में विकास कार्य अधिक जटिल, खर्चीले और समयसाध्य होते हैं, लेकिन राज्य वित्त आयोग द्वारा आबंटित बजट सीमित है। कर्मचारियों के वेतन व प्रशासनिक व्यय के उपरांत विकास कार्यों के लिए अपर्याप्त धन शेष रहता है। ऐसे में बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहयोग आवश्यक है।
इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों ने नगरीय इलाकों में बढ़ते दबाव को भी प्रमुख रूप से उठाया। पर्वतीय जनपदों के नगरीय क्षेत्रों में आबादी और विकास कार्यों के कारण अतिरिक्त दबाव उत्पन्न हो रहा है। ऐसे में इन इलाकों में विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता है ताकि नागरिकों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं मिल सकें और शहरों की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके। राज्य वित्त आयोग द्वारा 2011 की जनगणना के आधार पर बजट आवंटन किया जा रहा है, जबकि जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो चुकी है। प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि आगामी योजनाओं में 2024 की अनुमानित जनगणना को आधार बनाया जाए। इसके साथ ही केवल जनसंख्या ही नहीं, बल्कि भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर वित्तीय वितरण किया जाए। बैठक में पंचायत स्तर पर वित्तीय असमानता को दूर करने की आवश्यकता जताई गई। सुझाव दिया गया कि ग्राम पंचायतों को समान रूप से राज्य वित्त निधि प्रदान की जाए। साथ ही, प्रधानों को मिलने वाला मानदेय विकास बजट से पृथक किया जाए ताकि विकास कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे। आपदाओं और आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने हेतु विशेष आपदा निधि का प्रावधान करने की मांग भी की गई।
प्रतिनिधियों ने पूर्णागिरि मेले जैसे धार्मिक आयोजनों के सफल संचालन हेतु अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराने और कार्य आदेश (वर्क ऑर्डर) बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर स्किल डेवेलपमेंट को बढ़ावा देने, स्वरोजगार ज़ोन बनाने और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष फंडिंग की मांग रखी गई। जनसंपर्क व जनजागरूकता अभियानों के लिए भी पर्याप्त धन की आवश्यकता जताई गई ताकि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय परिवहन की सीमित सुविधाओं को देखते हुए विशेष योजनाएं बनाने की मांग की गई। इसके अलावा यह सुझाव भी दिया गया कि स्थानीय निकाय अपनी उपलब्ध भूमि का उपयोग संपत्ति निर्माण और राजस्व सृजन हेतु करें।
6वें राज्य वित्त आयोग ने सभी सुझावों को गंभीरतापूर्वक सुना और आश्वस्त किया कि जनपद का विकास वैज्ञानिक सलाह, ऐतिहासिक दृष्टिकोण, वन संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के साथ दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित होगा। आयोग ने बताया कि सभी निकायों से 2024 की अनुमानित जनसंख्या की जानकारी मांगी गई है, ताकि योजनाएं अधिक यथार्थपूर्ण और समावेशी बनाई जा सकें। आयोग ने कहा कि यदि कोई स्थानीय निकाय व्यवहारिक और जनोपयोगी परियोजना का ड्राफ्ट प्रस्तुत करता है, तो उस पर one-time grant देने पर विचार किया जाएगा। सभी स्तरों से ऐसे प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था—ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत—को आपसी समन्वय के साथ संपत्ति निर्माण और संसाधन सृजन पर बल देने को कहा गया।







