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समाजसेवी सुशील गाबा ने महाशिवरात्री के अवसर पर हरिद्वार से गंगाजल ला रहे हजारों भोले भक्त कावरियों का स्वागत किया।

क्षेत्रीय जनता को अपने संदेश में श्री गाबा ने कहा वो जिसने देवता ही क्यों बल्कि राक्षसो का भी ख्याल किया। सबको बराबर की मोहब्बत दी। उन सबके हिस्सों का ज़हर खुद पी लिया। वो जिनको मानने में देवता,इंसान,जानवर,राक्षस,संत सब हैं।

शिव की तीसरी आँख से पहले कोमल दिल को देखो। आँख तो एक झटके में दिख जाएगी मगर विशाल विराट बदन में दिल, तब दिखेगा, जब दिल से देखोगे।मासूमियत तब दिखेगी जब दिल में शिव के लिए सच्ची मोहब्बत होगी। बिना फ़र्क किये सबको गले लगाए तभी तो आपमे शिव होंगे।

श्री गाबा ने आगे कहा कि धर्मपत्नी पार्वती को अपने बराबर बैठा कर औरत के बराबरी के दर्जे की हिमायत करते शिव त्याग हैं, तपस्या हैं, तप हैं, प्रताप हैं,सरल हैं, साधारण हैं, भोले हैं । यह भोलापन ही तो मानवता के लिए वरदान है । जिसके अंदर से भोलापन ख़त्म होता है, वह उतना ही शिवत्व से दूर होते होते कठोर हृदय का स्वामी बनता जाता है । जहां से ग़लत रास्ते की शुरआत होती है ।

मोहब्बत शिव में है, शिव मोहब्बत में है। जिस दिन तुम्हारी ज़बान से शिव या भोले,तुम्हारे ह्रदय में उतर जाएँगे वही दिन महाशिवरात्रि होगी। वही मेरे शिव का पर्व होगा,मोहब्बत का पर्व,निर्माण का पर्व,ज़हर पीकर दूसरे को ज़िन्दगी देने का पर्व,मेरे शिव का मूल यही तो है।

श्री गाबा ने कहा कि महाशिवरात्रि पूर्णता का दिन है । अर्धनारीश्वर बनने का दिवस,दुनिया को सबसे सफ़ल प्रेम का साक्षात्कार कराने का दिन है । शिव-पार्वती जैसे आशीर्वाद का दिन है, यह निर्माण और विस्तार का दिन है । आप सबको महाशिवरात्रि की बहुत बहुत बधाई,शिव जी आपके हृदय को विशाल,कोमल और प्रेम से भर दें,नफ़रत और अलगाव आपके दिलों में दस्तक न देने पाए ।

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