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26 जनवरी तिथि नहीं सूरज है
भारत वासियों के गगन में जिसका उदय है
होता नहीं है इसका अस्त
यह भारत का भाग्य तिलक है

26 जनवरी सुदिन है यह वही
जिस दिन भारत का स्वाभिमान बढ़ा
तिरंगा उस दिन ऐसे लहरा
जैसे चार चांद लगा

26 जनवरी सुदिन है यह वही
उपक्रम संविधान रचने का सुशोभित हुआ
भारत रत्न आंबेडकर जी का
अमूल्य योगदान रहा
कई बाधाएं आई मगर
भारत अडिग निश्चयी रहा
तिरंगा उस दिन ऐसे लहरा
जैसे चार चांद लगा

26 जनवरी सुदिन है यह वही
कर ग्रहण शपथ घोषित हुए
सर्वप्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी
संभाली कमान विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र की
हर भारतवासी को भी अभिमान हुआ
इतिहास स्वयं स्वर्णाक्षरों में दर्ज हुआ
तिरंगा उस दिन ऐसे लहरा
जैसे चार चांद लगा

नमन हमारा
मां भारती के वीर सपूतों को
जिन्होंने इसका आधार रखा
देश को आजाद करने खातिर
घर परिवार अपना त्याग रखा

ऐसे ना जाने कितने मिट गए
जिनका ना कोई नामो-निशान रहा
ऋणी थे हम ऋणी रहेंगे
26 जनवरी उनके नाम रहा।

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